वास्तव में जीवन मिलता नहीं , जीया जाता है। जीवन स्वयं के द्वारा स्वयं का सतत् सृजन है , यह नियति नहीं , निर्माण है ।
हमारा जीवन एक पवित्र यज्ञ बन सकता है , लेकिन उन्हीं के लिए जो सत्य के लिए स्वयं की आहुति देने को तैयार रहते हैं।
हमारा जीवन एक अमूल्य अवसर बन सकता है , लेकिन उन्हीं के लिए जो साहस संकल्प और श्रम करते हैं।
हमारा जीवन एक वरदान बन सकता है , लेकिन केवल उन्हीं के लिए जो इसकी चुनौती को स्वीकारते हैं और उनका सामना करते हैं।
हमारा जीवन एक महान संघर्ष बन सकत है , लेकिन उन्हीं के लिए जो स्वयं की शक्ति को इकट्ठा कर विजय के लिए जूझते हैं।
हमारा जीवन एक भव्य जागरण बन सकता है , लेकिन उन्हीं के लिए जो निद्रा और मूर्छा से लड सकें।
हमारा जीवन एक दिब्य गीत बन सकता है , लेकिन उन्हीं के लिए जिन्होने स्वयं को मधुर वाद्य यंत्र बना लिया है।
अन्यथा जीवन एक लंबी और धीमी मृत्यु के अतिरिक्त कुछ भी नहीं , जीवन वही हो जाता है , जो हम जीवन को बनाना चाहते हैं।
(खत्री हितैषी के सौजन्य से)
4 टिप्पणियां:
ye bindu sabhi ke liye bahut prernadaayi hai, abhaar!!!
क्या बात है,लाजबाब संदेस देता सुन्दर आलेख
, संगीता जी !
सत्य व सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार ।
अच्छा लगा आप को इन बातों को मानते हुए और प्रचारित करते हुए। ज्योतिष के मुकाबले यह लाखों गुना बेहतर है।
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