जिज्ञासु अनंत काल से आगे बढता जा रहा है। वह अपनी मंजिल स्वयं भी नहीं जानता, फिर भी अपने पथ पर अग्रसर रहता है। जिज्ञासु ठहरना नहीं जानता , क्यूंकि वह जानता है कि ठहरना मृत्यु है , जिसे वह वरण नहीं करना चाहता। आनेवाली हर लडाई को वह जीतता जा रहा है और अध्यात्म अमृत का पान करता हुआ उस अनंत से साक्षात्कार की पिपासा लिए उस अनदेखी मंजिल तक पहुंच जाना चाहता है। पर वह किसी मृगतृष्णा में भी फंसना नहीं चाहता , भ्रमित दिशा में घिरना नहीं चाहता , वह दूरदृष्टि से आगे बढना चाहता है। उसके जीवन का लक्ष्य अनंत में लीन होना है , नई नई खोजें उसकी पिपासा है।
जिज्ञासु जीवन का कठिनतम सत्य भी है। यदि जिज्ञासु न हो तो संसार स्थिर हो जाएगा। ऐसा कभी नहीं होता और हो भी नहीं सकता क्यूंकि प्रभु सदा ही जिज्ञासुओं को इस पृथ्वी पर भेजता रहता है , जो नए नए रास्ते खोजते हैं। संसार में नित्य नए नए विकास इन्हीं जिज्ञासुओं की तपस्या के प्रतिफल हैं। संसार का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं , जहां इन जिज्ञासुओं की पैठ न हो। ये अपने कार्य में अटल हैं और पाने की आकांक्षा लिए बडे उत्साह से आगे बढते जा रहे हैं।
जिज्ञासु जीवन को परिरष्कृत करने और परिपक्व बनाने की कला जानता है और उसमें नई नई खोजें करने की भी क्षमता रखता है। जीवन एक उलझी हुई जंजीर होती है , जिज्ञासु उसकी हर कडी को सीधा करता हुआ गंतब्य की ओर बढना चाहता है। जीवनमूल्यों के तीव्रता से उतार चढाव एवं ह्रास की ओर से भी वह सतर्क होता है और समयानुसार जो समीचीन होता है , उसे ग्रहण करने में उसे कोई संकोच नहीं होता। इन सब उहापोह के मध्य एक आध्यात्म अमृत ही उसका सही संबल और सुदृढ मार्गदर्शक होता है। जिज्ञासु इसका ऋणी होता है , क्यूंकि इसके द्वारा ही उसका मार्ग सरल हो जाता है।
हे ईश्वर , इन जिज्ञासुओं की सदा सहायता एवं रक्षा करना , ताकि ये तेरे रचे हुए संसार को सही दिशा में ले जा सके और आध्यात्म के नाम पर खुली अनेकानेक दुकानों से बचा सके। आज जो आतंकवाद चरमसीमा पर है , उसे जीतने में इन जिज्ञासुओं को शक्ति प्रदान करो प्रभु , तभी जगत् का कल्याण होगा । अस्तु ....
(लेखक .. खत्री कैलाशनाथ जलोटा 'मंजु' जी)
3 टिप्पणियां:
बहुत सही कहा,नयें,अन्वेशन नयी खोज जिज्ञासुओं के बिना सम्भब नहीं ।
बहुत सही कहा,बिना जिज्ञासा के कोई अनवेशन कोई खोज नहीं होती ।
हम भी प्रार्थना करते हैं.
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