आपलोगों ने खत्री संत कुमार टंडन 'रसिक' जी का नाम अवश्य सुना होगा , हिन्दी में मुख्यत: कविता लिखनेवाले 'रसिक' जी ने समाज में रूढियों के विरूद्ध जागरूकता फैलानेवाले कई आलेख भी लिखे है। आज उनकी एक कविता आपलोगों को पढवा रही हूं , कारगिल युद्ध के बाद मिली भारत की विजय से उनकी भावनाओं ने इस कविता का रूप लिया था ......
लौटकर जाने न पाएगा अगर फिर आएगा ,
हम करेंगे जंग दुश्मन आंख यदि दिखलाएगा।
भूल अब हमसे न होगी , हम न धोखा खाएंगे,
सिर हथेली पर लिए हम वीर हैं लड जाएंगे।
धूल चाटेगा हमारी भूमि पर जो आएगा ,
जिंदगी भर दुश्मनी का अब सबक मिल जाएगा।।
लौट कर....................................
शांति के हम हैं पुजारी , किंतु कायर तो नहीं ,
मिल नहीं सकती शहीदों की मिसालें है कहीं।
दोस्ती के अब दिखावे में न भारत आएगा ,
जो दगाबाजी करेगा , देश वह पछताएगा।
लौट कर ....................................
शूरवीरों की सपूतों की यही तो शान है ,
प्राण कर देंगे निछावर देश हित यह आन है।
हर लडाई में विजय का दिन सुनहरा आएगा,
आदमी , हर आदमी , फौलाद का बन जाएगा।
यह तिरंगा चोटियों पर रात दिन लहराएगा ।।
लौट कर ...................................
2 टिप्पणियां:
लौटकर जाने न पाएगा अगर फिर आएगा ,
हम करेंगे जंग दुश्मन आंख यदि दिखलाएगा।
भूल अब हमसे न होगी , हम न धोखा खाएंगे,
सिर हथेली पर लिए हम वीर हैं लड जाएंगे।
बढ़िया प्रस्तुति संगीता जी , मगर आज कल ऐसा हो नहीं रहा ! वह लौट के भी जा रहा है और बार-बार जा रहा है !
शूरवीरों की सपूतों की यही तो शान है ,
प्राण कर देंगे निछावर देश हित यह आन है।
हर लडाई में विजय का दिन सुनहरा आएगा,
आदमी , हर आदमी , फौलाद का बन जाएगा।
यह तिरंगा चोटियों पर रात दिन लहराएगा ।।
लौट कर ...................................
बहुत सुन्दर रचना । बधाई
एक टिप्पणी भेजें