रविवार, 8 नवंबर 2009

बहुत चुनौतियां हैं अभी हमारे सामने


खत्री जाति ने प्रत्‍येक काल में अपनी जातिय अस्मिता बनाए रखने के साथ ही साथ संपूर्ण समाज की उन्‍नति और मानव मात्र की सेवा में अनवरत सहयोग दिया है। इससे यह बात निर्मूल सिद्ध हो जाती है कि जातिय चेतना का फल संकुचित मानसिकता होती है। हमारी स्‍वस्‍थ परंपरा का ही प्रभाव है कि यद्यपि उन शताब्दियों में जब कि सारा भारतीय समाज रूढिग्रस्‍त हो गया था , खत्री समाज में भी कुछ अस्‍वस्‍थ परंपराओं ने भले ही प्रवेश पा लिया हो , तथापि कुल मिलाकर इस जाति के लोग अग्रिम पंक्ति में बने ही रहें। 

पर हमारे पूर्वजों ने जो किया , उसी में बात समाप्‍त नहीं हो जाती। खत्रियों की महत्‍वपूर्ण भूमिका की परंपरा यदि हमें बनाए रखनी है , तो हमें स्‍वप्रेरणा के बल पर आज की समस्‍याओं से टक्‍कर लेनी होगी। बेरोजगारी , निर्धनता और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍यहीनता से बडी समस्‍या आज सामाजिक विघटन की है। तरह तरह के बहाने गढकर स्‍वार्थी लोग बहाने बना बनाकर जनता को विभिन्‍न आधारों पर विभक्‍त करने का काम कर रहे हैं। इसी प्रकार स्‍वार्थों के वशीभूत होकर सती जैसी बर्बर और अशास्‍त्रीय रूढि का पुनरूत्‍थान करने और कहीं कहीं धर्मग्रंथों की शाब्दिक सीमाओं में बंधकर विधवाओं को उनके मानवीय अधिकारों से वंचित किया जाता रहा है। 

खत्री समाज समय समय पर अपनी जाति में अस्‍वस्‍थ परंपराओं के विरूद्ध संघर्ष छेडता रहता है और उसमें यथेष्‍ट रूप से सफलता भी प्राप्‍त की है। पर हमें इतने से ही संतोष नहीं करना चाहिए और पूरे समाज के सुधार में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। हम इस कार्य के लिए सक्षम भी हैं , क्‍यूकि हमारी आर्थिक , शैक्षणिक , सामाजिक और वैचारिक स्थिति इतनी मजबूत है। जरूरत सिर्फ अपने दायित्‍व के बोध और दृढ निश्‍चय की है।कुरीतियों के विरूद्ध अभियान , एकता के प्रयास , स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा का प्रसार , भ्रष्‍टाचार विरोध ओर ऐसे अन्‍य उद्देश्‍यों के लिए हमारे जातीय संगठनों को अग्रसर होना चाहिए। इसमें अन्‍य जाति के प्रगतिशील तत्‍वों का सहयोग भी लेना चाहिए ।

(लेखक .. खत्री कृष्‍ण चंद्र बेरी जी)








 


1 टिप्पणी:

vikas mehta ने कहा…

apne kha ह।कुरीतियों के विरूद्ध अभियान , एकता के प्रयास , स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा का प्रसार , भ्रष्‍टाचार विरोध ओर ऐसे अन्‍य उद्देश्‍यों के लिए हमारे जातीय संगठनों को अग्रसर hona chahiye kintu nahi to hamara samaz sangthit hai or nahi khatri ya arora ka koi budhhijivi neta hai jo log samaz ki sochte hai unhe age nhi ane diya jata ham aaj tak jo vibhajn ke samay katleam hua tha un logo ko shahid ka darza nhi dila sake or nahi kisi ne itihas me jhakne ki himmat ki bas bre bjurgo se sunte aye hai

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