मंगलवार, 24 नवंबर 2009

विदेशी आक्रमणों का पहला मोर्चा खोखरान खत्रियों को ही झेलना पडता था !!


खोखर पंजाब के एक गांव का नाम है , इसी से खोखरान या खोखरायन शब्‍द बना। यहां के आदि निवासी होने के कारण उनके वंशज खोखरान खत्री कहलाए। इन्‍होने भी सरीनों के समान विधवा विवाह में विजेताओं की हां में हां मिलायी थी , जिसके कारण इन्‍हें समाज की मुख्‍य धारा से अलग कर दिया गया था। पहले आनंद , भसीन , सूरी , साहनी , चड्ढा ने और बाद में कोहली , सेठी , केरी और सभरवाल ने इनका साथ दिया था। 

वर्तमान समय में खोखरान खत्री दिल्‍ली , पंजाब , लखनऊ , इलाहाबाद , बनारस तथा उ प्र में अन्‍यत्र पर्याप्‍त संख्‍या में हैं। किन्‍तु किसी समय प पंजाब में इनकी संख्‍या अधिक थी। अफगानिस्‍तान और फारस में भी इनकी संख्‍या काफी थी , पर 1947 में पाकिस्‍तान बनने से सबसे अधिक नुकसान इन्‍हें ही हुआ और इन्‍हें विस्‍थापित होना पडा। बिहार में छपरा जिले में इनकी पर्याप्‍त संख्‍या है और यहां कोहली वंश वैसे ही प्रधान है , जैसे इलाहाबाद में चड्ढा वंश। 

प्राचीन काल में विदेशी आक्रमणों का पहला मोर्चा भी इन्‍हीं खोखरान खत्रियों को झेलना पडता था। पर उनके भाग्‍य की विडंबना ही थी कि उन्‍हें देश के भीतरी भागों से आपसी फूट के कारण कोई सहायता नहीं मिली। अत: इनके जो समूह पूर्वकाल में आक्रमणकारियों की सेनाओं में उच्‍च सैनिक पदों पर आसीन होकर उ प्र या बिहार में आए थे , उन्‍होने तो यहां अपनी जागीरें , जमींदारियां आदि पाकर अपने को भली भांति स्‍थापित कर लिया , परंतु जो पश्चिमी पंजाब में रह गए , उनमें कुछ को विस्‍थापित होने का दर्द तो झेलना ही पडा , कुछ को धर्म परिवर्तन का दुख भी झेलना पडा। 

आज के मुसलमान कबाइली , अफ्रीदी वास्‍तव में पूर्व काल के खोखरान खत्री ही हैं। इनमें प्राय: अब्‍दुल रजाक साहनी , अब्‍दुल रहमान कोहली तथा सुलेमान चड्ढा आदि नाम आज भी मिलते हैं , साहनी, कोहली, चड्ढा खत्रियों के ही अल्‍ल हैं। एक अनुमान के अनुसार पाकिस्‍तान बनने पर हजारों खोखरान खत्री मुसलमान हुए , कटे मरे और करीब एक लाख भारत आए थे, पर ववीरता आत्‍मनिर्भरता और स्‍वाभिमान इन खत्रियों का जातिगत स्‍वभाव रहा। यही कारण है कि निराश्रय और बेसहारा होने पर भी एक भी खोखरान खत्री ने भीख नहीं मांगी , बल्कि संपूर्ण भारत में अपने पुरूषार्थ से स्‍वयं को शीघ्र स्‍थापित कर समाज में अपना ऊंचा स्‍थान बनाया। 

इतिहास में वर्णित पृथ्‍वी राज को हराकर गजनी वापस जानेवाले मोहम्‍मद गोरी को उसकी वापसी में अत्‍यधिक परेशान करनेवाले यही खोखरान खत्री ही थे। मुसलमानों से अत्‍यधिक निकट संपर्क के कारण इनकी पोशाक तथा रहन सहन में अन्‍य खत्रियों से किसी समय इनकी भिन्‍नता अवश्‍य थी , पर हिंदुत्‍व की कोई कमी नहीं !!

( लेखक .. सीताराम टंडन जी)


5 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

एक नयी और अच्छी जानकारी अच्छे विश्लेषण के साथ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

ghughutibasuti ने कहा…

खोखर लोगों के बारे में अच्छी जानकारी दी।
घुघूती बासूती

Manisha ने कहा…

अपरीदी लोग पख्तून (पठान) होते हैं और पाकिस्तान अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित खैबर दर्रे के आस पास के इलाकों में रहते हैं। ये लोग खत्री नहीं होते हैं।

मनीषा

vikas mehta ने कहा…

sangita jee
me apse yah janana chahta hoo pakistan punjab se jo log aye kya wo sabhi khatri hi the
kya koi or jati nhi rehti thi vha agar asa nhi to kon kon se gotr khatri jati me ate hai

vikas mehta ने कहा…

kirpya khatriyo or arora me koi antar hota ho to btaye

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