khatri jati
खत्रियों के इतिहास को लिखनेवाली एक पुस्तक की परिशिष्ट में कुछ ज्ञात गोत्रों एवं कुलदेवता आदि की सूंचि दी गयी है , पर हजारो ऐसे अल्ल भी हैं , जिनके धारकों को आज न तो उनके वास्तविक गोत्र याद हैं और न ही कुल देवता। गोत्र और कुलदेवता का ज्ञान करानेवाले उनके पूर्व पुरोहित भी बदल चुके हैं। ऐतिहासिक घटनाक्रम में जो लोग उनके नए पुरोहित बने , उनके पास अपने यजमान के हर परिवार की व्यक्तिगत परंपराओं की जानकारी भी नहीं थी , अत: उन्होने समस्त संकल्पों आदि में सभी क्षत्रियों के पूर्वज काश्यप .षि का ही गोत्र कहना प्रारंभ कह दिया था, क्यूंकि वही शास्त्र सम्मत था।
स्वयं शास्त्रों में कहा गया है कि सब वंशों का गोत्र प्रवर 'मानव' उच्चरण किया जाए। 'सर्वेषां मानवेति संशये' (आश्वलायन श्रौत्र 13/5 )। गीता में भी स्वयं श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है .....
ज्ञात्वा शास्त्रं विधानोक्तं कर्म कर्तुमहाहसि। ... गीता 16/24
स्वयं मोतीलाल सेठ जी ने भी अपनी खत्रिय इतिहास की पुस्तक 'अ ब्रीफ हथनोलोजिकल सर्वे ऑफ खत्रीज' में कहा है ....
कपूर खन्ना और मेहरा .. इन तीनो अल्ल के लोग कोशल्य गोत्र के हैं , किंतु ये सभी एक दूसरे से खुलकर विवाह संबंध करते हैं। इन सभी का कौशल्य गोत्र माना जाना एक गलत सूचना पर आधारित प्रतीत होता है , क्यूंकि कपूर , खन्ना और मेहरा के वास्तविक गोत्र कौशिक , कौत्स और कौशल्य हैं।
यह सही माना जा सकता है , क्यूंकि अनादि काल से खत्री परिवार में एक ही पूर्वज की संतान होने को मानते हुए एक अल्ल के लोग अभी तक आपस में शादी विवाह नहीं करते थे। वैसे काश्यप गोत्र हर खत्री लिख सकता है , क्यूंकि भारत के समस्त सूर्यवंशी खत्रियों के मूल गोत्र प्रवर हैं। संपूर्ण खत्री जाति के पूर्वज ब्रह्मा जी के मानस पुत्र महर्षि मरीचि की कडी तपस्या के द्वारा कश्यप को प्राप्त करने के बाद उनके पुत्र विवस्वान और उनके पुत्र वैवस्पत हैं। वास्तव में खत्री समाज की मुख्य धारा से अलग थलग पड जाने से अनेक खत्री परिवार अपनी आर्ष ऋषि गोत्र परंपरा को भूलने लगे और कालांतर में भूल गए तो कोई अपने को खत्री लिखने लगा , कोई वर्मा भी।
उदाहरण के लिए लखनऊ का प्रसिद्ध खत्री परिवार गंगा प्रसाद वर्मा का है , जिनके नाम से अमीनाबाद में गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल हाल और पुस्तकालय तथा धर्मशाला एवं अनेक संस्थाएं बनी हैं और जो आधुनिक लखनउफ के पूर्व निर्माता भी रहे हैं, वास्तव में पिहानी के टंडन खत्री हैं । इसी प्रकार अमीनाबाद क्षेत्र के ही प्रसिद्ध पूर्व साडी व्यवसायी स्वर्गीय सालिग राम खत्री का परिवार वास्तव में मेहरा खत्री हैं , पर उनके परिवार के सभी लोग अपने को मात्र खत्री ही लिखते हैं।
लेखक .. खत्री सीताराम टंडन जी
1 टिप्पणी:
मेरे लिये नई जानकारी धन्यवाद्
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