पंजाबी खत्रियों का पूर्व की ओर गंगा यमुना प्रदेश में आने का समय व्यापक राजनीतिक चेतना और आजादी की नई लहर और जागृति का युग रहा है। इसलिए पंजाबियों की पूरी संस्कृति इनमें अभी तक दिखाई पड ही रही है। ये लोग बहुत शीघ्र ही अपने पहले आए खत्री भाइयों से घुल मिल गए और इनके विवाहादि संबंध भी पूर्विए और पच्छए दोनो से होने लगे।
पूर्विए खत्रियों ने कुछ प्रगतिशील कदम पहले ही उठा लिए थे। जैसे उन्होने समस्त अल्ल के खत्रियों के साथ आपस में विवाह संबंध करना शुरू कर दिया था , जबकि पच्छए चौजातिए ( मेहरोत्रे , खन्ने , कपूर और सेठ) अपने घेरे से बाहर आकर विवाह संबंध कायम करने में अभी पिछले 20 25 वर्ष पूर्व तक सकुचाते रहे हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि अब ऐसा युग आ गया है कि समस्त खत्री जाति में संकीर्णता के बंधन टूअ गए हैं और अब समस्त खत्री भाइयों के मध्य , चाहे वे जिस अल्ल के हों या पूर्विए , पच्छए या पंजाबी जो भी हों , सबमें विवाह संबंध बिना रोक टोक होने लगे हैं और यह खत्रियों की प्रगति का चिन्ह है।
( खत्री हितैषी के स्वर्ण जयंति विशेषांक से)
1 टिप्पणी:
खत्री और क्षत्रिय का अन्तर हमारे यहा एक जिलाधिकारी एस.एन.सेठ बताते थे जब मुगलो का आक्रमण हुआ तब जो क्षत्र पहन के युध मे चले वह क्षत्रिय जो खटिया के नीचे घुस गया वह खत्रिय . शायद मज़ाक होगा यह
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