शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

खत्री जाति : एक सिंहावलोकन


खत्री कुलनाम

खत्री जाति का इतिहास बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। प्राचीन काल से ही यह जाति द्वितीय वर्ण यानि क्षत्रिय मानी जाती रही है। इस जाति में बडे बडे शूरवीर , योद्धा , व्‍यापारी , विद्वान और धर्म प्रवर्तक हुए हैं, जिनसे भारत वर्ष के पन्‍ने रंजित हैं। ये प्राचीन सूर्यवंश और चंद्रवंश के उततराधिकारी हैं। मुसलमानी राज्‍य में भी ये उच्‍च पदों पर प्रतिष्ठित रहें। दिल्‍ली , आगरे , संयुक्‍त प्रांत और बिहार से होते हुए ये बंगाल तक चले गए। खत्री क्षत्री के ही रूप हैं , इसके प्रमाण में चार बातें हैं ....

आर्यों का आदि उपनिवेश पंचनद प्रदेश में हुआ और वहीं भाषा के अनेक रूपों का विकास हुआ। प्राकृतों में 'क्ष' अक्षर नहीं हैं , उसके स्‍थान पर 'ख' का प्रयोग किया जाता है। भाषा विज्ञान के इसी उच्‍चारण विधान के कारण 'खत्री' शब्‍द चलन में आया और वह अबतक प्रचलित है। इस तरह प्राचीनकाल में पंजाब के क्षत्रिय वर्ण के 'खत्री' नाम से प्रसिद्ध होने की पुष्टि मिल जाती है।

यह बात प्रसिद्ध है कि परशुराम जी ने अनेक बार क्षत्रिय राजाओं का नाश कर उनके राज्‍य ब्राह्मणों को दिए थे। इस प्रकार कई बार खत्रियों का समूल नाश हो गया था। जो खत्री बच गए , वे अपने पुरोहित सारस्‍वत ब्राह्मणों की कृपा से बचे। इधर उधर छिप छुपाकर ही खत्रियों ने अपनी रक्षा की थी , जबकि स्त्रियों और बालकों की रक्षा सारस्‍वत पुरोहितों द्वारा विशेष रूप से हुई थी। 

खत्रियों के सभी संस्‍कार सारस्‍वत ब्राह्मणों द्वारा शास्‍त्रोक्‍त रीति से ही कराए जाते हैं , यह उनके उच्‍च कुलोद्भव होने के प्रमाण हैं। 

सारस्‍वत ब्राह्मणों का निवास सरस्‍वती नदी के तट पर था , वे ही पूर्वकाल से खत्रियों के पुरोहित रहे हैं और उनके यहां की कच्‍ची रसोई तक खाते रहे हैं। इस संबंध में खत्री और सारस्‍वतों के गांत्र भी स्‍पष्‍ट प्रमाण उपस्थित करते हैं। 

बरेली में सन् 1901 में हुए खत्री सम्‍मेलन ने एक बहुत महत्‍वपूर्ण काम किया था। सम्‍मेलन के सभापति राजा बन बिहारी कपूर ने जो आवेदन पत्र सेंसर कमिश्‍नर रिजली साहब को प्रस्‍तुत किया था , उसमें खत्रियों के संबंध में बहुत सी प्रामाणिक बातें आ गयी थी और यह सिद्ध हो गया था कि खत्री वास्‍तव में क्षत्रिय कुल के ही हैं !!

(लेखक .. राय बहादुर श्‍याम सुंदर दास जी)




3 टिप्‍पणियां:

vikas mehta ने कहा…

jee apne bilkul sahi kha sikho ke das guru bhi khatri hi hai lekin hamara samaz pahchan kho rha hai or ye uski kamzori banti ja rhi hai

agar aap ki tarh koi or bhi paryas karta to ham bhi garv se khud ko khatri keh sakte lekin abb bhi der nhi hui

Unknown ने कहा…

Kya khatri Rajpoot hote hai??

संगीता पुरी ने कहा…

नहीं ... राजपूत बहुत बाद के युग के योद्धा हैं , राजाओं के पुत्र या उनकेे सेनाध्‍यक्षों के पुत्र या सेना के लोग , वे कर्म से क्षत्रिय हैं। लेकिन खत्री वैदिक कालीन योद्धा हैं , जो बाद में विभिन्‍न प्रकार के कार्यों से जुडे हुए हैं ।

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