दशहरा मनाया जाता है
आश्विन माह की पहली अष्टमी को महालक्ष्मी की पूजा होती है और व्रत रखा जाता है , कुछ खत्रियों के यहां विशेष रूप से मिट्टी की मूर्ति बनाकर 16 प्रकार के पकवान से पूजा की जाती है। राधाष्टमी को हल्दी में रंगकर कच्चे सूत की 16 गांठों का गण्डा हाथ में पहना गया था , वो आज खोला जाता है। अमावस को पितृ विसर्जन होता है , इन पंद्रह दिनों में ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, श्राद्धकर्म आदि होते हैं। पितृ विसर्जन के बाद प्रात:काल से नवरात्रि आरंभ होती है। अष्टमी को थाल होते हैं। देवी जी की पूजा होती है। प्रति बालक के लिए मिठाई के दस ठौर रखे जाते हैं। जीवित पुत्रिका नाम का निर्जला व्रत महिलाएं करती हैं।
शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा या विजयादशमी में बच्चों को थाल दिए जाते हैं। यह भी राष्ट्रीय त्यौहार है। अस्त्र शस्त्र , घोडा , हाथी , युद्ध के पशुओं से लेकर कलम और दवात तक की पूजा होती है। आज ही राम ने रावण पर विजय प्राप्त किया था। बंगाली लोगों का यह सबसे बडा त्यौहार है। आज ही सरस्वती जी की प्रतिमा पूजनोपरांत विसर्जित की जाती है। इन दिनों स्थान स्थान पर रामलीलाएं होती हैं , रावण जलाया जाता है और मेला लगता है।पुरोहित या ब्राह्मण मंत्र पढकर जौ की बल्लियों द्वारा यजमानों को आशीर्वाद देते हैं और यजमान बदले में दक्षिणा पाते हैं। व्यापारी लोग आज से अपना हिसाब किताब आरंभ करते हैं , तथा अपने वर्श का नया दिन मानते हैं। व्यापार , यात्रा या अन्य शुभ कार्यों के लिए आज का दिन परम पवित्र माना जाता है।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से लेकर से दशमी तक नौ दिन व्रत और ाशक्ति की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तशती में तो भगवती के महात्म्य का वर्णन है ही। देवी नवरात्रि के पूजन का सबको अधिकार होता है। प्रतिपदा को घट स्थापन कर नौ धान्यों को बोना और पंचमी को उद्दोग ललिता व्रत करना चाहिए। अष्टमी और नवमी को महातिथि कहते हैं। यह नवरात्रि की पूजा है। आश्विन तथा चैत मास में प्रत्येक मनुष्य को घटस्थापना से शक्ति की उपासना और अराधना करनी चाहिए। आज से पांचवे दिन शरद पूर्णिमा होती है। आज ठाकुर जी ओस में बैठाए जाते हैं , पूजा होती है , स्त्रियां पति के कल्याण के लिए व्रत करती हैं।
1 टिप्पणी:
आपको भी दीपावली की शुभकामनायें । बस हमेशा यूँ ही अपना आशीष देती रहिये । आप बडों का आशिर्वाद ही तो हमारे जीवन को सफलतायें देता है ।
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