बसंत पंचमी का वैज्ञानिक आधार
यहां अगहन मास में तो कोई त्यौहार नहीं होता , पूस में भी एक मात्र त्यौहार होता है। कहते हैं , इस मास में कोई नया काम नहीं किया जाना चाहिए। पूस महीने के अंत में मकर संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब में लोहडी नाम का त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है। रात को अग्नि का पूजन कर प्रसाद में भूने चने और रेवडी बांटी जाती है।मकर संक्रांति को संक्राति या खिचडी भी कहते हैं। आज खिचडी और पोंजा मनसा जाता है। आज सेभी पुरखों की स्मृति में खिचडी का दाल ब्राह्मणों को दिया जाता है। स्त्रियां बर्तन कपडे , फल , मिठाई और अनाज आदि ब्राह्मणों अपनी सासों को देती हैं। आज गंगा सागर का स्नान भी होता है। राजा सगर के साठ पुत्र आज ही भगीरथ की कृपा से तरे थे।
माघ मास की पहली चौथ को सौंगर चौथ कहते हैं। आज गणेश जी की पूजा होती है और तिल का भोग लगता है। आज स्त्री और पुरूष व्रत रखते हैं , स्त्रियां रात्रि को चंद्र की पूजा करती है। विवाहित स्त्रियों को आज पूजा का दिन होता है। आज घर में मिठाई पकवान बनाया जाता है , जो पूजा में प्रयुक्त होता है।
अमावस को मौनी अमावस होता है , आज दान पुण्य करके लोग मौन रहते हैं। माघ शुक्ल परेवा को पुष्प अभिषेक का पर्व है। रामचंद्र जी के द्वारा यह उत्सव मनाया गया था , महाराजा वर्दवान के वंश में भी यह त्यौहार मनाया जाता है।
श्शुक्ल पक्ष में वसंत पंचमी होती है , आज आम के बौर का भोग भगवान को लगता है। बालक बालिकाएं वसंती रंग के कपडे पहनती है , यह भी गुरू का दिन माना जाता है। आज विष्णु पूजा का भी विधान है। पितृ तर्पण भी करना चाहिए। कामदेव तथा रति की पूजा भी होती है। शुक्ल पक्ष में षटतिला एकादशी होती है। माघ शुक्ला सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत होता है , इसे सौर सप्तमी भी कहते हैं। माघ शुक्ला अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं , आज के दिन ही भीष्म पितामह ने शरीर त्यागा था। माघ मास में गंगा और नदी स्नन का बहुत महत्वहै। प्रयाग आदि में माघ मास में धर्मात्मा लोग गंगा स्नान करते हैं।
2 टिप्पणियां:
ज्ञानवर्धक आलेख है संगीता जी.
- विजय तिवारी 'किसलय'
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
आपलोगों के ब्लॉग पर आकर मजा आ गया। हमारे शहर में खत्रिखें की संख्या बहुत कम है, ऐसा लगा मुझे समाज नेट पर ही मिल गया। ...संज्ञा टंडन
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