हिन्दी के विख्यात कवि संत मलूकदास की जन्मस्थली धार्मिक सद्भाव का प्रतीक तथा असंख्य ऐतिहासिक घटनाओ का गवाह रहा कडा शहर आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। प्रयाग से करीब 65 कि मी पश्चिमोत्तर में गंगातट पर बसा 'कडा' शहर को मुगलों के शासनकाल तक सूबे का दर्जा प्राप्त था। इस शहर का धार्मिक महत्व इतना है कि प्रतिवर्ष सावन में 18 लाख श्रद्धालु आया करते हें। यहां की दरगाहों पर देश विदेश से असंख्य मुसलमान मन्नते मांगने आया करते हें। कडा की 4 कि मी की परिधि में ऐतिहासिक महत्व के अवशेष बिखरे पडे हैं। ऊंचे ऊंचे टीलों में कब्रगाह , मकबरे , मंदिर और पुरानी इमारतें गौरवशाली इतिहास के गवाह बने हुए हैं।
प्राचीन काल से ही कडा हिन्दुओं की पुण्यभूमि रहा है। कहते हैं त्रेता युग में सती का हाथ जिस स्थान पर गिरा , वहां पर शीतला देवी की प्रतिमा स्थापित की गयी है। बाद में पांडव पुत्र युधिष्ठिर ने मां शीतला देवी के स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। सिद्धि पीठ के नाम से विख्यात गंगा के तट पर बसा कडाधाम की मां शीतला के दर्शनार्थ देश के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र में भी यहां भक्तों की भारी भीड जमा होती है। आषाढ महीने के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक लाखों भक्त मां के दर्शन करते हैं। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से यहां यात्रियों के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं है। यहां 15 अति प्राचीन मंदिर और 28 धर्मशालाएं हैं , जहां यात्री ठहरते हैं।
कडा मुनियों की तपस्थली रहा है। कहा जाता है कि जाह्नवी ऋषि यहीं तपस्या करते थे। जब गंगा शिव की जटा से निकलकर धरती पर आयी तो कडा पहुंचने पर ऋषि का ध्यान भंग हो गया और गुस्से में आकर उन्होने गंगा को पी लिया। भगीरथ ने जब फिर प्रार्थना की तो अपनी जांघ चीरकर गंगा को बाहर निकाला। आज यही स्थान जाह्न्वी कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। इस भूमि के आध्यात्मिक महत्व को सूफी संतो और फकीरों ने भी समझा और कडा को अपनी साधना स्थली बनाया। यहां के धार्मिक ऐतिहासिक महत्व के केन्द्रों में मां शीतला देवी , संत मलूकदास आश्रम , ख्वाजा कडक शाह की दरगाह , नागा बाबा की कुटी , दण्डी स्वामी ब्रह्मचारी की कुटिया , जान्हवी कुंड , जयचंद का किला , अनेक सिद्ध फकीरों की मजारें तथा गंगा के अनेक घाट उल्लेखनीय हैं !!
लेखक .. सतीश चंद्र सेठ जी
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3 टिप्पणियां:
कडा के बारे पढ कर बहुत अच्छा लगा, ब्लांग से कितना लाभ है, वेसे कहा हम इसे पढते, इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद
आज पहली बार जाना कड़ा शहर के बारे में..
संगीता जी,
कड़ा की इतनी सुंदर जानकारी देने के लिए आभार...
आपको लोहड़ी और मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई...
जय हिंद...
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