रविवार, 28 जून 2020

समाज के उत्‍थान में पत्र पत्रिकाओं का विशेष महत्‍व

Khatri caste history in Hindi


किसी भी राष्‍ट्र , समाज , समुदाय या संस्‍था के उत्‍थान में पत्र पत्रिकाओं का विशेष महत्‍व होता है। इस सत्‍य को खत्री समाज के कर्णधारों ने समझा , स्‍वीकारा और वर्ष 1825 के आसपास से ही इस दिशा में सतत् प्रयत्‍नशील रहें। खत्री समाज की पूर्व की पत्र पत्रिकाओं का इतिहास तो उपलब्‍ध नहीं , पर 1872 में सर्वप्रथम पेजाब से खत्री समाज के पत्र का प्रकाशन उर्दू में आरंभ होने के प्रमाण मिलते हैं। वर्ष 1879 में आगरा से 'खत्री हितकार' नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन हुआ।

Khatri magazines

इसके बाद समय समय पर अनेक पत्रिकाओं का प्रकाशन विभिन्‍न प्रांतों और नगरों से हुआ , जैसे खत्री संसार(हैदराबाद), वरूण संदेश(जोधपुर), खत्री समाज(कलकत्‍ता), अरोडवंश सखा(व्‍यावर), खत्री दर्शन(नागपुर), अरोड संदेश(दिल्‍ली), श्री ब्रह्म क्षत्रिय हितेच्‍छु(अहमदाबाद), सोमादित्‍य(जोधपुर), भारतीय खत्री समाज(बंबई), अरोड वंश सुधारक(दिल्‍ली), सहस्रार्जुन वाणी(बैंगलौर), हिंगलाज ज्‍योति(जोधपुर), सूद संदेश(कपूरथला), ब्रह्म क्षत्रिय(बंबई), सहस्रांर्जुन वाणी(शोलापुर), खत्री प्रगति(झांसी), जातिबोध(विवेकानंद नगर), अरोड बंधु(श्रीगंगानगर) आदि अनेक पत्रिकाओं का मासिक या त्रैमासिक के रूप में प्रकाशन आरंभ हुआ , पर अधिकांश का अब कहीं अता पता भी नहीं। 

नवम्‍बर 1936 में आगरा और अवध की संयुक्‍त प्रांत(वर्तमान में उत्‍तर प्रदेश) की राजधानी के खत्री समाज की एकमात्र प्रतिनिधि सभा 'श्री खत्री उपकारिणी सभा , लखनउ' ने अपने सक्रिय सदस्‍य स्‍व महाराज किशोर टंडन जी की योजना को साकार करते हुए 'ख्त्री हितैषी' मासिक का प्रकाशन आरंभ किया , जो अभी तक निरंतर जारी रहकर देश के करोडों खत्री समाज का मार्गदर्शन और सेवा कर रही है। अपनी 50 वीं वर्षगांठ पर इसने खत्री हितैषी का 'स्‍वर्ण जयंती विशेषांक' निकाला था।

(लेखक .. खत्री सतीशचंद्र सेठ जी)

2 टिप्‍पणियां:

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

हिन्दी चिठठाकारीता फले-फुले!!
आपका लेखन प्रकाश की भॉति दुनिया को आलोकित करे!!
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जय ब्लोग- विजय ब्लोग
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आदरणीयासंगीता पुरीजी!
किसी भी राष्‍ट्र , समाज , समुदाय या संस्‍था के उत्‍थान में पत्र पत्रिकाओं का विशेष महत्‍व होता है।

आप द्वारा प्रदत्त विभिन्न समुदायो के प्रकाशनो की जानकारी से ज्ञान बढा! आपकी बात से सहमती है
की पत्र पत्रिकाओं कि समाज विकास मे अहम भुमिका है। बस अपेक्षा इतनी है की पक्षपात रहीत हो,व सच्चाई स्वीकार्य हो। आपका आभार
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हे प्रभू यह तेरापन्थ को पढे
अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी

मुम्बई-टाईगर

Khushdeep Sehgal ने कहा…

संगीता जी,

बचपन से ही बड़ों के मुंह से ये तो सुनता आया था कि खत्री समाज से मैं भी हूं...लेकिन इस तरह के ऐतिहासिक तथ्य आपसे ही पहली बार जानने को मिले...आभार...

जय हिंद...

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