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बुधवार, 10 नवंबर 2010
महाशिवरात्रि का महत्व .. भाग 10 .. खत्री लक्ष्मण नारायण टंडन जी
मंगलवार, 9 नवंबर 2010
बसंत पंचमी का वैज्ञानिक आधार .. भाग 9 .. खत्री लक्ष्मण नारायण टंडन जी
बसंत पंचमी का वैज्ञानिक आधार
यहां अगहन मास में तो कोई त्यौहार नहीं होता , पूस में भी एक मात्र त्यौहार होता है। कहते हैं , इस मास में कोई नया काम नहीं किया जाना चाहिए। पूस महीने के अंत में मकर संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब में लोहडी नाम का त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है। रात को अग्नि का पूजन कर प्रसाद में भूने चने और रेवडी बांटी जाती है।मकर संक्रांति को संक्राति या खिचडी भी कहते हैं। आज खिचडी और पोंजा मनसा जाता है। आज सेभी पुरखों की स्मृति में खिचडी का दाल ब्राह्मणों को दिया जाता है। स्त्रियां बर्तन कपडे , फल , मिठाई और अनाज आदि ब्राह्मणों अपनी सासों को देती हैं। आज गंगा सागर का स्नान भी होता है। राजा सगर के साठ पुत्र आज ही भगीरथ की कृपा से तरे थे।
माघ मास की पहली चौथ को सौंगर चौथ कहते हैं। आज गणेश जी की पूजा होती है और तिल का भोग लगता है। आज स्त्री और पुरूष व्रत रखते हैं , स्त्रियां रात्रि को चंद्र की पूजा करती है। विवाहित स्त्रियों को आज पूजा का दिन होता है। आज घर में मिठाई पकवान बनाया जाता है , जो पूजा में प्रयुक्त होता है।
अमावस को मौनी अमावस होता है , आज दान पुण्य करके लोग मौन रहते हैं। माघ शुक्ल परेवा को पुष्प अभिषेक का पर्व है। रामचंद्र जी के द्वारा यह उत्सव मनाया गया था , महाराजा वर्दवान के वंश में भी यह त्यौहार मनाया जाता है।
श्शुक्ल पक्ष में वसंत पंचमी होती है , आज आम के बौर का भोग भगवान को लगता है। बालक बालिकाएं वसंती रंग के कपडे पहनती है , यह भी गुरू का दिन माना जाता है। आज विष्णु पूजा का भी विधान है। पितृ तर्पण भी करना चाहिए। कामदेव तथा रति की पूजा भी होती है। शुक्ल पक्ष में षटतिला एकादशी होती है। माघ शुक्ला सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत होता है , इसे सौर सप्तमी भी कहते हैं। माघ शुक्ला अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं , आज के दिन ही भीष्म पितामह ने शरीर त्यागा था। माघ मास में गंगा और नदी स्नन का बहुत महत्वहै। प्रयाग आदि में माघ मास में धर्मात्मा लोग गंगा स्नान करते हैं।
शनिवार, 6 नवंबर 2010
दीपावली का वैज्ञानिक महत्व .. भाग 8 .. खत्री लक्ष्मण नारायण टंडन जी
दीपावली का वैज्ञानिक महत्व
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चौथ को पहली करवा चौथ होती है , स्त्रियां पति के लिए व्रत रखती हैं , सुहाल मंसे जाते हैं , चंद्रमा को देखकर नए मिट्टी के बर्तन से उसे जल देकर तब भोजन किया जाता है। पूजा के बाद एक दूसरे से बरतन बदला जाता है। चार दिनों बाद अहोई अष्टमी होती है , इसमें व्रत रखा जाता है , यह लडकों के लिए किया जाता है। काली जी की पूजा होती है , चंद्रमा या तारे को देखकर भोजन किया जाता है करर्तिक कृष्ण द्वादशी को गोधूलि बेला में गायों की पूजा होती है , दिनभर माता निराहार व्रत रखती हैं , कोदो की चावल , चने की दाल , या काकुन के चावल , बेसन की अठवाई खायी जाती है। गेहूं और धान के अतिरिक्त कुछ भी खाया जा सकता है। बहुत लोग कार्तिक , माघ , बैशाख्ा और श्रावण चारो ही मासो में पूजा करते हैं।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को चौदस या अंजाझारा होता है। आज शाम को घर के दरवाजे पर दीया जलाया जाता है। आज महावीर जन्म दिन भी है। प्रात:काल अमावस्या को बडी दीपावली होती है , रात को लक्ष्मी गणेश की पूजा , खील बताशे और पकवानों से पुरोहित कराते और सबको टीका काढते हैं। घर घर दीए जलाए जाते हैं , धूमधाम से मेला होता है , रातभर लोग जुआ भी खेलते हैं। आज से शरद ऋतु का आगमन माना जाता है , गोवर्द्धन में भी बडा मेला होता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से शुक्ला दुईज तक पांच दिन महोत्सव का क्रम रहता है , त्रयोदशी , नरक चतुदर्षी , लक्ष्मी पूजन तीनों का घनिष्ठ संबंध है। त्रयोदशी को यमराज का पूजन होता है। इन तीनों दिनों में वामन भगवान ने राजा बलि की पृथ्वी को तीन डगों में नापा था। राजा बलि के वरदान मांगने पर वामन जी ने वर दिया था कि जो मनुष्य इन तीनों दिनों में दीपोत्सव और महोत्सव करेगा , उसे लक्ष्मी जी कभी न छोडेंगी।
प्रात: काल अन्न कूट या जमघट होता है , लडके दिनभर पतंगे उडाते हैं , आज ठाकुर जी को भोग लगता है , दामाद और कन्याएं निमंत्रित की जाती हैं। उसके दूसरे दिन ही भाई दुईज होती है , यह बहिनों का त्यौहार है , वे भाई के टीका काढती हैं , मिठाई आदि देती हैं , भाई रूपया , कपडा और उपहार देता है। मथुरा में विश्राम घाट के स्नान का बडा महत्व है। फिर प्रात: काल मनचिंता होती है , इसमें आटे की मछलियां की पूजा की जाती है। कार्तिक शुक्ला अष्टमी को गोपाष्टमी होती है , इसमें गऊओं की पूजा होती है। फिर तीसरे दिन देवोत्थान एकादशी होती है। व्रत कर ऊख से देवता की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि चार मास की निद्रा के बाद देव जगते हैं।
इन चारों महीनों में उत्तर प्रदेश या उसके आसपास कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता था , पर पंजाब में यह नहीं माना जाता है। हो सकता है कि वर्षा ऋतु में घर के बाहर और परदेश जाने में लोगों को कठिनाई होती हो , पर पंजाब में इन मासों में वर्षा नहीं होती , इसलिए वहां निषेध नहीं है। इन चार मास मे देवों के सोने या जगने का यही अभिप्राय था। इस पक्ष की एकादशी के दिन तुलसी विवाहोत्सव भी होता है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का पर्व है। लाखों की संख्या में लोग गढमुक्तेश्वर , बिठुर , कानपुर आदि जगहों में गंगा स्नान करते हैं। यदि वहां न जा सके , तो अपने अपने स्थानों की नदियों में ही स्नान किया जाता है। आज बडा मेला होता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी से लेकर पूर्णिमार तक का व्रत 'भीष्म पंचक' कहलाता है। पांचो दिन घी के दीपक जलते हैं, जप होता है , 108 आहुतियां दी जाती है , इन पांच दिनों में भीष्म पितामह ने शर शैय्या पर पांडवों को उपदेश दिया था।
सोमवार, 1 नवंबर 2010
दशहरा मनाया जाता है.. भाग 7 .. खत्री लक्ष्मण नारायण टंडन जी
दशहरा मनाया जाता है
आश्विन माह की पहली अष्टमी को महालक्ष्मी की पूजा होती है और व्रत रखा जाता है , कुछ खत्रियों के यहां विशेष रूप से मिट्टी की मूर्ति बनाकर 16 प्रकार के पकवान से पूजा की जाती है। राधाष्टमी को हल्दी में रंगकर कच्चे सूत की 16 गांठों का गण्डा हाथ में पहना गया था , वो आज खोला जाता है। अमावस को पितृ विसर्जन होता है , इन पंद्रह दिनों में ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, श्राद्धकर्म आदि होते हैं। पितृ विसर्जन के बाद प्रात:काल से नवरात्रि आरंभ होती है। अष्टमी को थाल होते हैं। देवी जी की पूजा होती है। प्रति बालक के लिए मिठाई के दस ठौर रखे जाते हैं। जीवित पुत्रिका नाम का निर्जला व्रत महिलाएं करती हैं।
शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा या विजयादशमी में बच्चों को थाल दिए जाते हैं। यह भी राष्ट्रीय त्यौहार है। अस्त्र शस्त्र , घोडा , हाथी , युद्ध के पशुओं से लेकर कलम और दवात तक की पूजा होती है। आज ही राम ने रावण पर विजय प्राप्त किया था। बंगाली लोगों का यह सबसे बडा त्यौहार है। आज ही सरस्वती जी की प्रतिमा पूजनोपरांत विसर्जित की जाती है। इन दिनों स्थान स्थान पर रामलीलाएं होती हैं , रावण जलाया जाता है और मेला लगता है।पुरोहित या ब्राह्मण मंत्र पढकर जौ की बल्लियों द्वारा यजमानों को आशीर्वाद देते हैं और यजमान बदले में दक्षिणा पाते हैं। व्यापारी लोग आज से अपना हिसाब किताब आरंभ करते हैं , तथा अपने वर्श का नया दिन मानते हैं। व्यापार , यात्रा या अन्य शुभ कार्यों के लिए आज का दिन परम पवित्र माना जाता है।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से लेकर से दशमी तक नौ दिन व्रत और ाशक्ति की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तशती में तो भगवती के महात्म्य का वर्णन है ही। देवी नवरात्रि के पूजन का सबको अधिकार होता है। प्रतिपदा को घट स्थापन कर नौ धान्यों को बोना और पंचमी को उद्दोग ललिता व्रत करना चाहिए। अष्टमी और नवमी को महातिथि कहते हैं। यह नवरात्रि की पूजा है। आश्विन तथा चैत मास में प्रत्येक मनुष्य को घटस्थापना से शक्ति की उपासना और अराधना करनी चाहिए। आज से पांचवे दिन शरद पूर्णिमा होती है। आज ठाकुर जी ओस में बैठाए जाते हैं , पूजा होती है , स्त्रियां पति के कल्याण के लिए व्रत करती हैं।
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