तीर्थों के नाम
हिंदू परिवारों की तरह ही खत्रियों में भी कुछ तीर्थस्थान अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। कम से कम प्रत्येक हिंदूओं की प्रबल इच्छा होती है कि वे इन तीर्थस्थानों में जाकर अपना परलोक सुधारे। जीवन में उनकी यात्रा करना एक कर्तब्य माना जाता है। कुछ प्रमुख तीर्थस्थान निम्न हैं ......
'चारो धाम' के अंतर्गत 1. उत्तर में बद्रिकाश्रम है। हरिद्वार से यात्रा आरंभ होती है , प्राय: केदारनाथ होते हुए लोग बदरीनाथ को जाते हैं। कुछ लोग गंगोत्तरी या यमुनोत्तरी होते हुए भी वहां जाते हैं , ये उत्तराखंड की यात्रा होती है। अनेक यात्री धर्मभाव से प्रेरित न होते हुए भी केवल हिमालय के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य के अवलोकनार्थ या सैर सपाटों के लिए भी इन दर्शनीय स्थानों पर जाते हैं। 2. दक्षिण में रामेश्वरम् धाम है , इसके आसपास अनेक तीर्थस्थान हैं।लोग दक्षिण भारत के भ्रमण को जाने पर रामेश्वरम् जाना नहीं भूलते। 3. पूर्व में जगन्नाथपुरी है, साक्षी गोपाल , भुवनेश्वर और कोणार्क जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थान इसके निकट ही हैं। 4. पश्चिम में द्वारकाधाम है, इन चारो धाम के यात्रियों को यह अनुभव होता है कि समस्त देश हमारी ही मातृभूमि है। जगत्गुरू शंकराचार्य ने इन धामों पर अपनी गद्दिायां विकसित की।
खत्र
चारो धामों के अतिरिक्त 'सप्तपुरी' के अंतर्गत 1. अयोध्या , राजा रामचंद्र की राजधानी सरयू नदी के तट पर है। 2. मथुरा , योगेश्वर कृष्ण की कार्यभूमि यमुना तट पर है। 84 कोस ब्रज के अंतर्गत नंदगांव , पेम सरोवर , बरसाना, कोसी , छाता , कामबन, डीग , गोवर्द्धन , जतिपूरा , राधाकुंज , रावल , गोकुल , महाबन , ब्रह्मांड घाट , रमणरेती , बडे दाऊ जी , बृंदाबन आदि तीर्थस्थल हैं। 3. हरिद्वार में कुंभ के अवसर पर लाखों की भीड होती हैं, गंगा दशहरा या अन्य पर्वों पर भी गंगा स्नान को यात्री आते हैं। कनखल , चंडीदेवी , भीमगोडा , सत्यनारायन चट्टी , ऋषिकेश , लक्ष्मणझूला , स्वर्गाश्रम आदि भी अपूर्व दर्शनीय स्थान आसपास हैं। 4 . काशी शैवों का केन्द्र बाबा विश्वनाथ तथा गंगा के कारण अत्यंत पुरातन और पवित्र तीर्थ है। 5. कांजीवरम दक्षिण भारत में विष्णु कांची तथा शिवकांची के रूप में प्रसिद्ध है। 6. उज्जैन शिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर शिवलिंग के कारण विक्रमादित्य की राजधानी रहा है। 7. द्वारका भी सप्तपुरियों में से एक है। सोमनाथ , सुदामापुरी आदि तीर्थस्थान भी इसके निकट ही है।
शैवों के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग अत्यंत महत्व और श्रद्धा के केन्द्र हैं। 1. सोमनाथ गुजरात में हैं, जिससे प्रत्येक इतिहास प्रेमी परिचित हैं। 2. त्रयम्बकेश्वर नासिक के निकट है। 3. ओकारेश्वर नर्मदा तट पर है। 4. महाकालेश्वर उज्जैन में है। 5. केदारनाथ हिमालय पर स्थित है। 6. विश्वनाथ महादेव काशी में है। 7. बैजनाथ धाम बिहार प्रांत में है। 8. रामेश्वरम दक्षिण में है। 9. मल्लिकार्जुन 10. नागनाथ 11. वृष्णेश्वर दक्षिण हैदराबाद में है। 12. भीमाशंकर पूना के पास है।
इसके अतिरिक्त काश्मीर में अमरनाथ की गुफा भी प्रसिद्ध है। काली भक्तों के तीर्थ वहां वहां है , जहां उनके मठ हैं। नागरकोट के दुर्गामंदर में चैत और कुआर के महीनों में यात्री अधिक आते हैं। इसी प्रकार मिर्जापुर में विंद्यवासिनी देवी , कलकत्ते की काली माई दिल्ली के निकट गुरूगांव में शीतला देवी , कांगडा की ज्वालामुखी देवी का मंदिर भी प्रसिद्ध है।
सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थ अमृतसर का स्वर्ण मंदिर है।
गंगा तट पर 1. काशी संस्कृत विद्या का केन्द्र रहा है। 2. प्रयाग गंगा , यमुना सरस्वती के संगम पर प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। 3. हरिद्वार 4. एटा जिला में कासगंज के निकट सोरों 5. जिला अलीगढ में गंगातट पर राजघाट 6. जिला मेरठ में गढ मुकत्ेश्वर 7. ब्रहमवर्त , बिठुर तथा गंगासागर आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं।
वैष्णवों के प्रधान तीर्थ नाथद्वारा , मथुरा और द्वारका है। कुरूक्षेत्र पंजाब में पानीपत के निकट है। गयाजी फल्गु नदी के तट पर मृत लोगों के पिंड दान के लिए पवित्र स्थान है। बिहार में गंगातट पर हरिहर क्षेत्र अपने मेले के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है। जहां जहां प्राचीन ऋषि महर्षियों ने तपस्या की थी , या धार्मिक उद्देश्यों से इकट्ठे हुए थे , वो सब भी बाद में तीर्थस्थल बन गए। नैमिषारण्य मिश्रिक , हत्याहरण चित्रकूट, गोला गोकर्ण नाथ , जनकपुर , सीतामढी , राजगृह , नसलंदा , तारकेश्वर नवदीप , कामाख्या , परशुराम कुंड , ब्रह्म तीर्थपूर , पशुपतिनाथ महादेव , नेपाल , भेडाघाट , जबलपुर , रामटेक , नागपुर , श्रीरंगम , मदुरा , बालाजी , तिरूपति , लक्ष्मणबाला आदि भी प्रसिद्ध तीर्थ हैं।
( खत्री हितैषी के स्वर्ण जयंती विशेषांक से साभार )
2 टिप्पणियां:
बहुत जानकारीपूर्ण आलेख.
is prakar ke lekh main bar bar padhta hun. jane kyon? meri yadon ko taja karne ke liye apke dhanyavad.
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