हिन्दुओं के ग्रंथों के अनुरूप ही खत्रियों के यहां बरगद , पीपल , जंड , आम , जामुन , पलास , खीदर , बिल्व , आमला आदि के वृक्ष पवित्र माने जाते हैं तथा इनकी पूजा भी की जाती है। जंड का वृक्ष तो सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, बच्चों के मुंडन और अन्य संस्कारों में इस वृक्ष का पूजन अनिवार्य है। इसके नाम पर एक संस्कार का नाम ही 'जंडे' है। ज्येष्ठ की सप्तमी को बरसातें त्यौहार पर स्त्रियां बरगद के पेड की पूजा करती हैं। पीपल की भी पूजा होती है , किंतु अपेक्षाकृत कम। पीपल की लकडी जलाना भी हमारे यहां मना है। केवल मृतक संस्कार और कुछ विशेष अवसरों को छोडकर पीपल की लकडी कभी नहीं जलायी जाती है।
पौधों में सबसे पवित्र तुलसी या वृंदा का पौधा है। रामा और श्यामा दोनों प्रकार की तुलसी के पौधें हिंदू घरों में पूज्य हैं। वृंदा के पौधों की अधिकता के कारण ही कृष्ण की लीलाभूमि वृंदावन कहलायी। तुलसी के असंख्य लाभों को गिनाने की आवश्यकता ही नहीं, क्यूंकि उसका ज्ञान प्रत्येक भारतीय को है। धतूरे का फल , फूल और बीज भी पवित्र समझे जाते हैं। धतुरा महादेवजी का प्रिय भोज्य है। शिवलिंग पर धतूरा तथा बेलपत्र चढाया जाता है। बेल की पत्तियां भी अत्यंत पवित्र समझी जाती हैं।
यूं तो भगवान की पूजा में सभी फूल चढाए जाते हैं, पर सबसे अधिक महत्व कमल का माना जाता है। कमल का फूल अत्यंत पवित्र होता है , उसके बिना तो कवियों का काम ही नहीं चलता।
अशोक वृक्ष का महत्व भी हिंदुओं में इसलिए है, क्यूंकि अशोक वाटिका में रावण के यहां इसी वृक्ष के नीचे सीताजी रही थी। कहते हैं , जब कोई संभवा नवयौवना के चरण अशोक वृक्ष में लग जाते हैं , तभी वो पुष्पित होता है।
कुंद का पुष्प भी पवित्र माना जाता है। श्वेत कुंद के फूल से ही शिवजी के शरीर की उपमा दी जाती है, जैसे नीलकमल से विष्णु , राम और कृष्ण के शरीर की। पलाश के फूलों के रंग से होली खेली जाती है। अत: टेसु , कुंद , कमल और धतूरे के फूल भी पवित्र माने जाते हैं।
(खत्री हितैषी के स्वर्ण जयंती विशेषांक से साभार)
9 टिप्पणियां:
वृक्ष प्राचीन काल से ही पूजे चले आ रहे है...इस बारे में बृहद जानकारी बढ़िया लगी..आभार संगीता जी..नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ
जप तप ध्यान के लिए पीपल के साथ गूलर का वृक्ष भी श्रेष्ठ माना गया है!
ब्लॉग पर अच्छी जानकारी दी है .वृक्षों के प्रति लगाव होना ही चाहिए .ये तो पूज्यनीय तो हैं ही .. आभार
sadar vande
# भारतीय नववर्ष 2067 , युगाब्द 5112 व पावन नवरात्रि की शुभकामनाएं
# रत्नेश त्रिपाठी
# भारतीय नववर्ष 2067 , युगाब्द 5112 व पावन नवरात्रि की शुभकामनाएं
# रत्नेश त्रिपाठी
यह सब वृक्ष बहुत लाभदायक है, शायद इसी लिये हमारे पुर्वजो ने इन्हे बचाने के लिये ऎसी ऎसी कथाये ओर कहानी हमारी श्रद्धा से जोड दी, जो उचित है शायद इसी बहाने हम पेडो की उपयोगता को समझे.
इस बहुत अच्छी जान्कारी के लिये आप का धन्यवाद
अच्छी जानकारी
नव संवत्सर 2067 व नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं
पेड़ों को बचाने के लिये पूजनीय बनाना पड़ा । अच्छी जानकारी
अच्छी जानकारी दी आपने.बहुत कम लोगों को पता होगा की तुलसी की महत्ता इस्लाम में भी है..और ये पौधा जन्नत यानी स्वर्ग में भी है .लेकिन देश की साम्प्रदायिकता के कारण इसे मुसलामानों के घरों से दूर कर दिया गया.
समय मिले तो मेरे साझा-सरोकार की पोस्ट संस्कृत और वैदिक शब्द है नमाज़! अवश्य पढ़ें.
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