महाशिवरात्रि का महत्व
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को शिव रात्रि होती है। शिव की पूजा बेलपत्र से की जाती है और व्रत रखा जाता है। आज के दिन शिव जी का विवाह हुआ था। कुछ लोग रात्रिभर जगते हैं और शिव जी के भजन गाते रहते हैं। कुछ स्त्रियां तो शिवरात्रि के बाद वाले दिन में भी व्रत रखती हैं। किंतु रात में मंदिरों में नहीं जाती। धतुरा भंग बेलपत्र फूल फल , घी का दीपक आदि से पूजा की जाती है तथा उसपर जल , चंदन , अक्षत , पुष्प आदि चढाया जाता है। बम बम भोला महादेव के साथ श्रृंगी बजाकर शिव भिक्षुक भिक्षा मांगते हैं। उन्हें रोटी , दाल , चावल और कढी के साथ तरकारी और पापड भी दिया जाता है।
पूर्णमासी को होलिका दहन होता है। प्रात: काल धुरेरी से नया वर्ष मनाया जाता है , आज के दिन हिरण्यकशिपु की बहन होलिका अग्नि में जल मरी थी। रबी फसल कट जाने था जाडे की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु लगने की खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है। नया अन्न उत्पन्न होने की खुशी में कृषक भी खूब गाते बजाते तथा रंग खेलते हैं। होलिका में चना , गेहूं आदि की हरी डाली जलायी जाती है , कहीं कहीं तो एक सप्ताह पूर्व से ही लोग होली और धमार गाते हैं , रंग खेलते और खुशियां मनाते हैं। कुछ लोग भांग खाते हैं तो कुछ गालियां बकते, तथा गंदे गीत और कबीर गाते हैं। कहते हैं कि आज सब माफ है। गुलाल अबीर की जगह कीचड भी उछालते इस बुराई के मुक्त होने पर यह पर्व अत्यंत आनंदमय होगा।
इस जानकारी के लिए हार्दिक आभार।
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त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।
Bahut achhi prastuti
जवाब देंहटाएंAApko janamdin kee bahut bahut haardik shubhkamnayen