रविवार, 28 फ़रवरी 2010

होली की बात क्‍या कहूं .. होली में रंग है !!

होली की बात क्‍या कहूं , होली में रंग है।
त्‍यौहार की खुशी में सब लोग संग हैं।।

गालों पे है गुलाल , लगा माथे पर अबीर।
मस्‍ती से खेलते हैं , सभी रंक और अमीर।।

ये अंगराज से सजा हुआ सा अंग है।
होली की बात क्‍या कहूं , होली में रंग है।।

होली को खेला सूर ने , तुलसी कबीर ने।
खेला है इसे संत और सूफी अजीज ने।।

रहमान राम कृष्‍ण पयंबर भी संग है।
होली की बात क्‍या कहूं , होली में रंग है।।

फागुन भी क्‍या चीज है, जरा देखिए हुजूर।
मस्‍ती भरी हुई है जरा खेलिए हुजूर।।

अल्‍लाह मियां भी देख मेरा अंग दंग है।
होली की बात क्‍या कहूं , होली में रंग है।।

हिंदू या मुसलमान हो या सिक्‍ख या ईसाई।
मिलजुलकर खेलिए सभी इसमें भलाई।।

हम एक हैं यहां पे सदा से अखण्‍ड हैं।
होली की बात क्‍या कहूं , होली में रंग है।।

इंसानियत की राह पे चलते हैं, चलेंगे।
हिंदुस्‍तान के लिए जीते हैं , जीएंगे।।

होली तो एकता के लिए मानदंड है।
होली की बात क्‍या कहूं , होली में रंग है।।

( लेखक ----- अजीज जौहरी जी )

8 टिप्‍पणियां:

  1. होली की हार्दिक शुभकामनाएं आपको भी। अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई।

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  2. बहुत अच्छा । बहुत सुंदर प्रयास है। जारी रखिये ।

    हिंदी को आप जैसे ब्लागरों की ही जरूरत है ।


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  3. भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में आपका कार्य प्रशंसनीय है। रंगोत्सव आपको और आपके परिवार को हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण करे। -डॉ० डंडा लखनवी





    नेचर का देखो फैशन शो

    -डॉ० डंडा लखनवी

    क्या फागुन की फगुनाई है।
    हर तरफ प्रकृति बौराई है।।
    संपूर्ण में सृष्टि मादकता -
    हो रही फिरी सप्लाई है।।1

    धरती पर नूतन वर्दी है।
    ख़ामोश हो गई सर्दी है।।
    भौरों की देखो खाट खाड़ी-
    कलियों में गुण्डागर्दी है।।2

    एनीमल करते ताक -झाक।
    चल रहा वनों में कैटवाक।।
    नेचर का देखो फैशन शो-
    माडलिंग कर रहे हैं पिकाक।।3

    मनहूसी मटियामेट लगे।
    खच्चर भी अपटूडेट लगे।।
    फागुन में काला कौआ भी-
    सीनियर एडवोकेट लगे।।4

    इस जेन्टिलमेन से आप मिलो।
    एक ही टाँग पर जाता सो ।।
    पहने रहता है धवल कोट-
    ये बगुला या सी0एम0ओ0।।5

    इस ऋतु में नित चैराहों पर।
    पैंनाता सीघों को आकर।।
    उसको मत कहिए साँड आप-
    फागुन में वही पुलिस अफसर।।6

    गालों में भरे गिलौरे हैं।
    पड़ते इन पर ‘लव’ दौरे हैं।।
    देखो तो इनका उभय रूप-
    छिन में कवि, छिन में भौंरे हैं।।7

    जय हो कविता कालिंदी की।
    जय रंग-रंगीली बिंदी की।।
    मेकॅप में वाह तितलियाँ भी-
    लगतीं कवयित्री हिंदी की।8

    वो साड़ी में थी हरी - हरी।
    रसभरी रसों से भरी- भरी।।
    नैनों से डाका डाल गई-
    बंदूक दग गई धरी - धरी।।9

    ये मौसम की अंगड़ाई है।
    मक्खी तक बटरफलाई है ।।
    धोषणा कर रहे गधे भी सुनो-
    इंसान हमारा भाई है।।10

    सचलभाष-0936069753

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  4. आपको होली के शुभ अवसर पर बहुत बहुत बधाई । सुन्दर रचना ।

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  5. सुन्दर सन्देश देती रचना
    बहुत अच्छी

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  6. आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice

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  7. बहुत खूब!


    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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आपकी स्‍नेहभरी टिप्‍पणी के लिए आभारी हूं !!