ऐसे रंग में क्या रंगा, स्वयं हुए बदरंग।
प्रेम रंग सांचा 'रसिक' जीवन भरे उमंग।।
रंगी हथेली ले बढे,चेहरा रंगा उजास।
सच्ची होली हो तभी, फैले प्रेम प्रकाश।।
लाल लाल उडने लगी , चारो ओर गुलाल।
शहर शहर बाजार से, गांव गांव चौपाल।।
जल में जैसे रंग घुला, एक हृदय हो मीत।
वैमनस्य मिट जाए सब , रहे मित्रता जीत।।
चमक रही आभा लिए, जैसे रजत अबीर।
समता बढे समाज में , निर्धन बन अमीर।।
लेखक ... संत कुमार टंडन 'रसिक' जी
लाल लाल उडने लगी , चारो ओर गुलाल।
जवाब देंहटाएंशहर शहर बाजार से, गांव गांव चौपाल।।
vaah,behtreen.
जल में जैसे रंग घुला, एक हृदय हो मीत।
जवाब देंहटाएंवैमनस्य मिट जाए सब , रहे मित्रता जीत।।
सुन्दर कामना
इस कामना में मुझे भी शामिल कर लें
ati sundar rachna, ati sundar bhav,
जवाब देंहटाएंHoli ke parv par, sabhi mil jao...
Badhai!!
Bahut sundar rachana ....padawaane ke liye aapka bahut bahut aabhar!
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
वाह जी बहुत सुंदर रंग है ये भी :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लगे आप के यह रंग. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!! वाह!
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