रविवार, 13 दिसंबर 2009

हमारा जीवन वही होगा .. जो हम इसे बनाना चाहें !!



वास्‍तव में जीवन मिलता नहीं , जीया जाता है। जीवन स्‍वयं के द्वारा स्‍वयं का सतत् सृजन है , यह नियति नहीं , निर्माण है ।

हमारा जीवन एक पवित्र यज्ञ बन सकता है , लेकिन उन्‍हीं के लिए जो सत्‍य के लिए स्‍वयं की आहुति देने को तैयार रहते हैं। 

हमारा जीवन एक अमूल्‍य अवसर बन सकता है , लेकिन उन्‍हीं के लिए जो साहस संकल्‍प और श्रम करते हैं। 

हमारा जीवन एक वरदान बन सकता है , लेकिन केवल उन्‍हीं के लिए जो इसकी चुनौती को स्‍वीकारते हैं और उनका सामना करते हैं। 

हमारा जीवन एक महान संघर्ष बन सकत है , लेकिन उन्‍हीं के लिए जो स्‍वयं की शक्ति को इकट्ठा कर विजय के लिए जूझते हैं। 

हमारा जीवन एक भव्‍य जागरण बन सकता है , लेकिन उन्‍हीं के लिए जो निद्रा और मूर्छा से लड सकें। 

हमारा जीवन एक दिब्‍य गीत बन सकता है , लेकिन उन्‍हीं के लिए जिन्‍होने स्‍वयं को मधुर वाद्य यंत्र बना लिया है। 

अन्‍यथा जीवन एक लंबी और धीमी मृत्‍यु के अतिरिक्‍त कुछ भी नहीं , जीवन वही हो जाता है , जो हम जीवन को बनाना चाहते हैं।

(खत्री हितैषी के सौजन्‍य से)


4 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है,लाजबाब संदेस देता सुन्दर आलेख
    , संगीता जी !

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  2. सत्‍य व सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति, आभार ।

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  3. अच्छा लगा आप को इन बातों को मानते हुए और प्रचारित करते हुए। ज्योतिष के मुकाबले यह लाखों गुना बेहतर है।

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आपकी स्‍नेहभरी टिप्‍पणी के लिए आभारी हूं !!