शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

खत्री संत कुमार टंडन जी की एक कविता पढें !!



आपलोगों ने खत्री संत कुमार टंडन 'रसिक' जी का नाम अवश्‍य सुना होगा , हिन्‍दी में मुख्‍यत: कविता लिखनेवाले 'रसिक' जी ने समाज में रूढियों के विरूद्ध जागरूकता फैलानेवाले कई आलेख भी लिखे है। आज उनकी एक कविता आपलोगों को पढवा रही हूं , कारगिल युद्ध के बाद मिली भारत की विजय से उनकी भावनाओं ने इस कविता का रूप लिया था ......




लौटकर जाने न पाएगा अगर फिर आएगा ,

हम करेंगे जंग दुश्‍मन आंख यदि दिखलाएगा।

भूल अब हमसे न होगी , हम न धोखा खाएंगे,

सिर हथेली पर लिए हम वीर हैं लड जाएंगे।

धूल चाटेगा हमारी भूमि पर जो आएगा ,

जिंदगी भर दुश्‍मनी का अब सबक मिल जाएगा।।

लौट कर....................................




शांति के हम हैं पुजारी , किंतु कायर तो नहीं ,

मिल नहीं सकती शहीदों की मिसालें है कहीं।

दोस्‍ती के अब दिखावे में न भारत आएगा ,

जो दगाबाजी करेगा , देश वह पछताएगा।

लौट कर ....................................




शूरवीरों की सपूतों की यही तो शान है ,

प्राण कर देंगे निछावर देश हित यह आन है।

हर लडाई में विजय का दिन सुनहरा आएगा,

आदमी , हर आदमी , फौलाद का बन जाएगा। 

यह तिरंगा चोटियों पर रात दिन लहराएगा ।।

लौट कर ...................................




2 टिप्‍पणियां:

  1. लौटकर जाने न पाएगा अगर फिर आएगा ,
    हम करेंगे जंग दुश्‍मन आंख यदि दिखलाएगा।
    भूल अब हमसे न होगी , हम न धोखा खाएंगे,
    सिर हथेली पर लिए हम वीर हैं लड जाएंगे।

    बढ़िया प्रस्तुति संगीता जी , मगर आज कल ऐसा हो नहीं रहा ! वह लौट के भी जा रहा है और बार-बार जा रहा है !

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  2. शूरवीरों की सपूतों की यही तो शान है ,
    प्राण कर देंगे निछावर देश हित यह आन है।
    हर लडाई में विजय का दिन सुनहरा आएगा,
    आदमी , हर आदमी , फौलाद का बन जाएगा।
    यह तिरंगा चोटियों पर रात दिन लहराएगा ।।
    लौट कर ...................................
    बहुत सुन्दर रचना । बधाई

    जवाब देंहटाएं

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