tag:blogger.com,1999:blog-8060308864735743289.post8876924071742412671..comments2023-09-25T02:18:57.288-07:00Comments on हमारा खत्री समाज: खत्री जाति की परंपरा : पहला भागसंगीता पुरी http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8060308864735743289.post-74841180087567128372010-02-06T07:09:19.050-08:002010-02-06T07:09:19.050-08:00गोधूलि वर्मा जी,
इस आलेख में लिखे गए तथ्य मेरे अप...गोधूलि वर्मा जी,<br />इस आलेख में लिखे गए तथ्य मेरे अपने विचार नहीं हैं .. मैने लिखा भी है .. कि 'खत्री हितैषी' के स्वर्ण जयंती विशेषांक से साभार लिया गया है .. मैने आपके प्रश्न उन तक पहुंचा दिए हैं .. फिर भी आपत्तिजनक बातों को इस लेख से हटा दिया जा रहा है .. वैसे सारस्वत ब्राह्मणों का खत्रियों के साथ कैसा संबंध था .. इसके बारे में वे ही अधिक अच्छी तरह बतला सकते हैं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8060308864735743289.post-38553481418043106902010-02-06T06:49:26.427-08:002010-02-06T06:49:26.427-08:00हक़ीकत ये है कि खत्रियों ने वैश्य कर्म अपना लिया इस...हक़ीकत ये है कि खत्रियों ने वैश्य कर्म अपना लिया इसलिए वर्ण भ्रष्ट हो गए। <br />पश्चिम भारत में बौद्ध धर्म का प्रभाव कम होने से ब्राह्मण वर्ण का वर्चस्व था जिन्हों ने खत्रियों को बाहर जाने रास्ता दिखा दिया।गोधूलि चलोhttps://www.blogger.com/profile/09080847050361458372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8060308864735743289.post-55569993435381053712010-02-06T05:32:21.252-08:002010-02-06T05:32:21.252-08:00@ आज जिन्हें प्राय: क्षत्रिय कहा जाता है , उन ठाक...@ आज जिन्हें प्राय: क्षत्रिय कहा जाता है , उन ठाकुरों राजपूतों के गोत्र और प्राचीन ऋषियों के गोत्र में यह समानता नहीं है।<br /><br />आप का कहना भ्रामक नहीं पूर्णत: ग़लत है। कृपया अपनी बात का प्रमाण दें।गोधूलि चलोhttps://www.blogger.com/profile/09080847050361458372noreply@blogger.com