शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

आया होली का त्यौहार .. भाग 2 .. खत्री लक्ष्‍मण नारायण टंडन जी

आया होली का त्यौहार 


पिछले अंक से आगे .... इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍येक अमावस्‍या खासकर सोमवती अमावस्‍या पूजन का दिन होता है।  प्रत्‍येक रविवार सूर्यदेव का दिन , प्रत्‍येक सोमवार चंद्रदेव का दिन , प्रत्‍येक मंगलवार महावीर जी का दिन , विशेष तौर पर श्रावण मास के चंद्रवार शिवभक्‍तों के लिए और आषाढ मास के चंद्रवार शीतला और काली जी के भक्‍तों के लिए पवित्र दिवस है। प्रत्‍येक मंगलवार मंगलचंडी तथा हनुमान जी , का पवित्र दिन है तथा शुक्रवार शीतला भक्‍तों के लिए प्रसिद्ध दिन है। कुछ कृषकों के पर्व बैशाखी , आषाढी , नवा और मौनी अमावस आदि हैं। महीने में दो एकादशी के और दो प्रदोष व्रत हिंदू भी रखते हैं। पूर्णमासी का व्रत भी रखा जाता है। चंद्रग्रहण वाले पूर्णमासी और अमावस्‍या वाले पूर्णिमा को विशेष तौर पर दान , पुण्‍य तथा पूजा पाठ किए जाते हैं।


हमारे यहां जब ऋतुपरिवर्तन होता है , नया नया खेत बोया जाता है या पका खेत काटा जाता है तब होली , दीपावली , दशहरा जैसे विशेष पर्व किसी उद्देश्‍य से रखे गए हैं।अन्‍य त्‍यौहारों का भी , भले ही वे छोटे हों या बडे , कुछ न कुछ उद्देश्‍य होता है। ये त्‍यौहार मासिक क्रम में इस प्रकार मनाए जाते हैं .....

चैत्र माह के चारो सोमवारों को तिसुआ सोमवार कहा जाता है। तिसुआ सोमवार में जगदीश के पट्ट की पूजा होती है , पर उसी घर में जहां कोई जगन्‍नाथपुरी से हो आया हो। जगन्‍नाथपुरी जानेवाला ही व्रत रखता है , पहले सोमवार फूले हुए देवल और गुड से , दूसरे सोमवार गुड धनिया से , तीसरे सोमवार पंचामृत से तथा चौथे सोमवार गंगभोग या कच्‍चा पक्‍का हर तरह का पकवान बनाकर भोग लगाया जाता है।

चैत्र माह के परेवा को ही धुरेरी होती है। इस दिन 12 बजे दोपहर तक रंग खेलकर फिर नहा धोकर कपडे पहनकर पुरूष और बालक परिचितों के गले मिलते हैं तथा मेला देखते हैं। आज सबलोग पिछले बैर को भूलकर आपस में प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं। दामाद और कन्‍याएं भी धुरेरी के दिन निमंत्रित किए जाते हैं , आज से लोग जाडों के कपडों को तहाकर रख देते हैं और गरमी के कपडे निकालते हैं। दूसरे दिन भाई दुईज मनायी जाती है।





2 टिप्‍पणियां:

ASHOK BAJAJ ने कहा…

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!

नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...

कृपया ग्राम चौपाल में आज पढ़े ------
"चम्पेश्वर महादेव तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य स्थल चंपारण"

Asha Joglekar ने कहा…

वाह बहुत ही ज्ञान वर्धक पोस्ट ।

क्‍या ईश्‍वर ने शूद्रो को सेवा करने के लिए ही जन्‍म दिया था ??

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