रविवार, 29 अगस्त 2010

खत्रियों के अल्‍ल ( श से हौ) ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.)

शंकधारी , शंभु , शकरसिंधे , शकारि , शखरा , शगुने , श्‍ग्‍लूना , शनपमर , शनिश्‍चरा , शपथ , शब्‍बार , शमशो , शराज , शराफ , शहवानी , शहवार , शहूत , शादराज , शानकारी , शारा , शालगार , शलूचा , शलोती , शावल , शावानी , शासन , शाह , शाहदुराज , शाहसेन , शाही , शाहूता , शिरालकर , शिवनी , शिवपुरी , शुक्‍ला , शुपत , शूरशाही , शेशवाल , शैलोकी , शैलाकी , शोई , शोगरी , शोचर , शोत , शोधे , शोभी , शोरिया , शोशवाल , शोहर , शोहाल , शौकत , शौचहर , शौम्‍हर , शौरानी , शौलिया शौशनी , शौहर , श्रवण , श्रीगिरी , श्रीधरी , श्रीरलकेर, श्रीनमख , संखचारी , संगड , संगरवार , संगी , संगोतिये , संचल , संढोजे , संतराया , संदराज , संदरैया , संदेली , संदेसी , संदीज , संधोज , संधोरिये , संध्‍वा , संभरवाल , सबरवाल , सभरवाल , सउडिल , सकडा , सकरवाल , सखेर , सगुण , सग्‍गे , सग्‍गो , सचदेव , सचहर , सच्‍चड , सचदेना , सजपाल , सजैया , सटहरे , सटोपा , सटखे , सठखेरे , सडिकेर , सतजा , सतिये , सती , सतेजे , सदरैया , सदा , सधवरे , सधानी , सधैया , सनेजे , सपथ , सपरेजा , सपील , सप्‍परा , सफडे , सफदनी , सबाहिया , सबीड , सभी , समरवाल , समी , समीकुक , समूचा , समात , सरकत , सरेथ , सरनी , सरसी , सराई , सराकी , सरोजे , सरोहरी , सलवाई , सला , सलाई सलूजे , सलोजये , सलोत्री , सवाई , सवई , सवारेजी , सहगल , सहजरे , सहजडे , सहमनी , सहवरिये , सहहारा , सहारण , सहारन , सांपमार , सा , सागिया , सातपुते , सातेपुणे , साधु , सादीबोटी , सानी , सामह , सारदार , सारराद , सावरी , साहनी , सहनी , साही , साहू , सिंगरी , सिंगर , सिंदुरिये , सिंधराया , सिंधवड , सिक्‍के , सिक्‍ख , सिदलिंग , सिदुसा , सिद्ध , सिद्धवतो , सिधराया , सिधवानिये , सिधार , सिवरगट्टी , सिरिगिरि , सिल्‍ली , सिंगी , सींधवड , सीकरी , सीके , सुंठिया , सुखरे , सुखेजा , सुचि , सुडिआ , सुदान , सुद्ध , सुधने , सुनना , सपूत , सुपत , सुबनगी , सुरेपन , सुर्जिया , सुलेखि , सुलेगावि , सुवन्‍ना , सुवन्‍नी , सुहेला , सूचि , सुतडे , सुति , सूर  सूरशाही , सूरिया , सूरी , सेठ , सेठी , सेता , सेनानी , सेनी , सेनीगंग , सेवकी , सेवी , सेसाडिन , सैनी , सोठी , सोथिया , सोदनी , सोदान , सोनजी , सोनटक्‍के , सोनपल , सोनपार , सोनी , सोनेजी , सोनीसोर , सोभरेजे , सोमंधा , सोमो , सोमेश्‍वर , सोमेसर , सोरठीया , सोरवाल , सोलवाल , सोलंकी , सोलटा , सालापुरकर , सोलिया , सोवांतो , सोहन , सोहराथी , सोहरान , सीहवाथी , सोहारी , स्‍वता , स्‍वाती , स्‍वादा , हंजा , हजोजे , हंठा , हंडा , हंडारी , हंडीफोर , हदे , हंस , हंसमुख , हंसराज , हंसरानी , हंसल , हजसी , हटाडी , हड , हडे , हडपे , हड्डा , हतिया , हथपइया , हथपैया , हदिया , हवीब , हमजागर , हरगण , हरजाई, हरजानी , हरजो , हरणेजे , हरनेजा , हरमसागर , हरमेजे , हरयानी , हरली , हरबै , हरपण , हरसबाट , हरहदिमा , हरहरिया , हरिया , हरीजा , हरीठे , हरेना , हरना , हलवानी , हलाली , हल्‍दवा , हवचातोबई , हबजोतोबई , हसटक्‍के , हहोजे , हांडीफोर , हांडीगीर , हाली , हावनूर , हाबी , हिंदवानी , हिंदाना , हिल्‍ले , हुआ , हुड , हुवन , हुलेरा , हुंगर , हेकड , हैहैया , होजा , होड , होडिये , होमकी , होलिखा , होबिया , होवे , होसमनि , हौलिया  !!






शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

हमारे मान्‍य देवी देवता ... भाग 3 ... श्री लक्ष्‍मी नारायण टंडन जी


दोनो अंको में आपने पढा .... इन देवी देवताओं के अतिरिक्‍त संस्‍कारों के समय नवग्रहों की पूजा होती है। सूर्य नवग्रहों में प्रमुख हैं। कोई भी धार्मिक कृत्‍य नवग्रहों के बिना पूरा नहीं होता। सूर्य का महत्‍व पृथ्‍वी और उसके जीवन के लिए कितना है तथा मनुष्‍य के भाग्‍य पर नवग्रहों का प्रभाव कितना है , यह सर्वविदित है। सेठों के यहां गर्भवती स्‍त्री के लिए 'बुड्ढे बाबू' की पूजा भी वास्‍तव में सूर्य की पूजा है। यूं भी प्रत्‍येक दिन स्‍नान के बाद हिंदू सूर्य को अर्घ्‍य देते हैं। सूर्य प्राणयाम या सूर्य नमसकार भी पूजा और व्‍यायाम के मुख्‍य अंग हैं। वैसे ही चंद्रमा का नवग्रहों में द्वितीय स्‍थान है। जैसे रविवार को हिंदू व्रत रखते हैं , वैसे ही चंद्रवार को भी रखते हैं। प्रतयेक संस्‍कार में सूर्य की भांति चंद्र की भी पूजा आवश्‍यक है। करवा चौथ , शरद पूनो , गणेश चौथ आदि में चं्रदमा का ही पूजन होता है। सूर्य बल , शक्ति , प्रताप तथा तेज के दाता हैं। रूद्र या मंगल युद्ध के देवता हैं। बुध बुद्धि विद्या का देवता है। बृहस्‍पति संपत्ति समृद्धि तथा वाक् शक्ति के देवता हैं। शुक्र धन , प्रतिभा , प्रेम तथा वैभव के देवता हैं। शनि , राहू और केतु अशुभ ग्रह समझे जाते हैं। इनकी कोपदृष्टि न पउे , ये देव रूष्‍ट न हों , यही सोंचकर संस्‍कारों के समय इनका पूजन होता है। 

नवग्रहों के अतिरिक्‍त पंचतत्‍वों की भी पूजा खत्री जाति के संस्‍कारों तथा अन्‍य धार्मिक कृत्‍यों के अवसर पर होती है। अग्नि तथा जल की पूजा विशेष तौर पर होती है। अग्निदेव की संतुष्टि के लिए यज्ञ तथा हवन करना प्रत्‍येक उत्‍सव में आवश्‍यक है। प्रत्‍येक धर्मभीरू हिंदू सुबह शाम अग्निहोत्र करता है। भोजन करने के पूर्व एक रोटी और थोडा सा दाल चावल चूल्‍हें में डाल दिया जाता है। यह अग्निदेव के प्रति समर्पण है। अब भी पुराने विचारों के कुछ वृद्ध धार्मिक कृत्‍य पंच महायज्ञ करते हैं। नगरकोट में ज्‍वाला की ज्‍योति की पूजा , होलिका दहन में अग्नि की पूजा , दुर्गाअष्‍टमी आदि दिनों में प्रचलित पूजा सब अग्निदेव की ही पूजा है। विवाह संस्‍कार पर तो केवल हवन और यज्ञ नहीं होता है , वरन् अग्निदेव पति और पत्‍नी के संबंध के साक्षी स्‍वरूप माने जाते हैं। एक विशेष प्रकार की लकडी से अग्नि उत्‍पन्‍न करके जो अग्नि आधान कहलाती है , अनेक संस्‍कारों में अग्निदेव की पूजारूपी हवन होता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि नित्‍य हवन किया करते थे , अब भी कछ धर्मात्‍मा हिंदू नित्‍य हवन किया करते हैं। हमारे धर्मग्रंथो में अग्निपूजा का बहुत महत्‍व है , प्राचीन आर्य तो अग्नि जल और प्रकृति के अन्‍य अवयवों के पूजक थे ही और उनके वंशज होने के नाते समस्‍त रीति रिवाज हम अपनाए हुए हैं।

अग्नि के अतिरिक्‍त जल की पूजा भी प्रत्‍येक धार्मिक कृत्‍य में होती है। पवित्र मंत्रो द्वारा इंद्र का आह्वान हर संस्‍कारों के अवसर पर होता है। गंगासागर में स्‍नान का महत्‍व सर्वविदित है। गंगा जी हमारे यहां माता कहलाती हैं। महानदी , गोदावरी , कृष्‍णा , कावेरी , नर्मदा , ताप्‍ती , यमुना , सरस्‍वती , सरयु आदि सब नदियां हमारे यहां पवित्र मानी जाती हैं। संस्‍कारों के समय वैदिक मंत्रो द्वारा इन पवित्र नदियों का ीाी आह्वान किया जाता है। जल के देवता वरूणदेव की पूजा और समुद्र स्‍नान का भी हमारे यहां बडा महत्‍व है। जगन्‍नाथपुरी में समुद्रद्वार तथा दक्षिण में कन्‍याकुमारी आदि में समुद्र स्‍नन आदि का बडा महत्‍व है। सारस्‍वत ऋषियों ने सरस्‍वती नदी के तट पर ही वेदों का पठन पाठन किया है। गंगातट पर रहकर प्राचीन ऋषियों ने वेद पुराणादि धर्मग्रंथों का प्रचार प्रसार किया। सरस्‍वती नदी के तट पर वेदों के ज्ञान का प्रचार प्रसार हुआ था। इसलिए सरस्‍वती देवी के रूप में हमारे यहां विद्या ज्ञान और कला की देवी मानी गयी। आज भी गंगा तट पर ही अनेक संस्‍कार किए जाते हैं। मृत्‍यु के समय गंगा जल या तुलसीदल का प्रयोग होता है। मृत्‍यु के पश्‍चात अस्थियां गंगा जलमें ही विसर्जित होती हैं। गंगा से कृषकों को कितना लाभ होता था , गंगा आवागमन का उन दिनों कितनी अच्‍छी साधन थी , गंगाजल कितना स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक है , आदि भावों से कृतज्ञता के रूप में हिंदुओं ने उनकी पूजा आरंभ की। हम कितने उदार थे , उपकारी के लिए कृताता का भाव प्रकट करना हमारी प्रकृति में था , चाहे वो जड हो या चेतन।


बुधवार, 25 अगस्त 2010

हमारे मान्‍य देवी देवता ... भाग 2 ... श्री लक्ष्‍मी नारायण टंडन जी

ब्रह्मा , विष्‍णु , महेश के अतिरिक्‍त वैदिक युग के देवताओं का पूजन भी हमारे यहां होता है ...
1,  इंद्र या वरूण .... ये जल के देवता हैं , समुद्र के मालिक हैं , बिजली, बादल और वर्षा के भी । सत्‍य है कि उनकी पूजा विष्‍णु और शिव की भांति प्रचलित नहीं है , किंतु विवाहादि शुभ कार्यों में इंद्र आदि देवों की पूजा के निमित्‍त वेद मंत्रो का उच्‍चारण होता है।

2, अग्निदेव ... ये भी वैदिक देवता हैं , शुभकार्यों तथा संस्‍कारों के समय अग्निदेव की भी पूजा होती है। यज्ञ और हवन तो हमारे यहां प्रत्‍येक शुभ कार्यों में होना अनिवार्य हैं।

वास्‍तव में प्राचीन समय में प्रकृति के समस्‍त अवयवों के प्रति कृतज्ञता तथा श्रद्धा का भाव प्रकट करने के लिए हिंदुओं ने उन्‍हें देव रूप दिया। यही कारण है कि वायु ,सूर्य और चंद्रमा भी हमारे यहां देवता हैं।
शक्ति के भक्‍त दुर्गा , काली आदि विभिन्‍न नामों से शक्ति की पूजा करते हैं।
राम तथा कृष्‍ण के मंदिरों की तो भरमार प्रत्‍येक नगर और गांव में मिलती हैं।
हनुमान जी की पूजा भी हिंदुओं में व्‍यापक है। उनके मंदिर भी प्राय: हर कहीं मिलेंगे। वे शक्ति , ब्रह्मचर्य , सेवाभाव और वीरता के प्रतीक हैं। उन्‍हें वायु पुत्र कहा जाता है। प्रत्‍येक अखाडे में जहां पहलवान कुश्‍ती लडते हैं तथा प्रत्‍येक कूप के निकट उनका मंदिर तथा आला होता है। वे भय और संकट में हमारी रक्षा करनेवाले माने जाते हैं।
 गणेश जी भी हमारे यहां विघ्‍न हरण , मुद मंगलदाता , ज्ञान तथा विद्यादायक , तथा पापविनाशक के रूप में पूजे जाते हैं। कोई भी शुभ कार्य बिना उनकी पूजा के संपन्‍न नहीं हो सकता। बच्‍चों के पढाई आरंभ करने पर उनकी तख्‍ती पुजायी जाती है और उसमें श्री गणेशाय नम: लिखा जाता है। यही नहीं , प्रत्‍येक नए खाते या नए घर मेंगणेश याद किए जाते हैं। कवि , वेदांती विद्वान सभी अपने कार्य की सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए गणेश वंदना करते हैं। राजा और व्‍यापारी तो उनकी पूजा करते ही हैं। प्रत्‍येक मास की शुक्‍ल पक्ष की गणेश चौथ को स्‍ित्रयां व्रत रखती है। माघ मास की चौथ तो अत्‍यंत शुभ मानी जाती है। उस दिन संकटतेवता के नाम से उनकी पूजा की जाती है। उनके चार हाथों में गदा ,चक्र , पुस्‍तक या मोदक होता है। मोदक उन्‍हें बहुत प्रिय है। उनका मस्‍तक हाथी का है और चूहा उनका वाहन है।
कहीं कहीं भैरव या भैरों जी की पूजा भी होती है। कुत्‍ता उनका साथी है। भैरव भक्‍त मांस मदिरा से परहेज नहीं रखते।
इसके अलावे अनेक स्‍थानों पर सप्‍तर्षियों की भी पूजा होती है।  नवग्रहों की पूजा की चर्चा अगले अंक में की जाएगी। जगह जगह पर अन्‍य स्‍थानीय देवी देवताओं की भी पूजा होती है।

सोमवार, 23 अगस्त 2010

हमारे मान्‍य देवी देवता ... भाग 1 ... श्री लक्ष्‍मी नारायण टंडन जी


वैदिक और ब्राह्मण धर्म के मानने वाले मूर्तिपूजक हिंदू निम्‍नलिखित देवी देवताओं की पूजा करते हैं ....

1, ब्रह्मा .... सृष्टि और ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा जी को ही माना जाता है। त्रिदेवों में इनका प्रथम स्‍थान है। इनके चार मुख है , जिनसे चारों वेदों का प्रादुर्भाव हुआ है। भगवान की रजोगुणी शक्ति , जो निर्माण करती है , वही ब्रह्मा हुई।

2, विष्‍णु ... त्रिदेवों में बसे अधिक महत्‍व विष्‍णु का है। वे संसार के रक्षक हैं। हिंदुओं में ब्रह्मा जी की पूजा से अधिक पूजा का प्रचार इन्‍हीं देव का है। ईश्‍वर की सतोगुणी रक्षा करनेवाली शक्ति का नाम ही विष्‍णु है।

3, शिव या महादेव ... त्रिदेवों में तीसरेनंबर पर शिव हैं। आप संसार के नाश के देवता हैं। ईश्‍वर की वह तमोगुणी महान शक्ति , जो अंधकार अथवा अज्ञान के संहार का काम करती है उसका नाम शिव है। शिवभक्ति का प्रचार भारत के हिंदुओं में अधिक है।

अस्‍तु हमने देखा कि परब्रह्म परमात्‍मा ही सर्जना , रक्षा और संहार के स्‍वामी है , उसी ईश्‍वर के ये तीन नाम ब्रह्मा , विष्‍णु और महेश हैं। अलग अलग कार्य की भांति उनके रंग और विशेषताएं भी भिन्‍न हैं। ब्रह्मा रक्‍त रंग के विष्‍णु श्‍याम तो शिवश्‍वेत हैं। शिव को नीलकंठ भी कहते हैं , क्‍यूंकि समुद्र मंथन के समय निकले विष का पान कर उन्‍होने देवताओं और दानवों की रक्षा की है। समसत दूषणों और पापों के शमन करने की शक्ति जिनमें हो , वह नीलकंठ हैं। कल्‍याणकर्ता शिव का निवास स्‍थान कैलाश है। सर्प उनके शरीर से लिपटे रहते हैं। उनकी जटा पर गंगा जी और मस्‍तक पर चंद्रमा सुशोभित है। वन्‍य मूल फूल फल उन्‍हें प्रिय हैं। लिंग चिन्‍ह स्‍वरूप का प्रतीक है , क्‍यूंकि सृजन शक्ति शरीर के इसी अंग में समाहित है। शैवों का गढ काशी है। शिवपुराण तथा उत्‍तम पुराण शैवों के प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। नगर तथा ग्राम के प्रत्‍येक मुहल्‍ले में बस्‍ती में अवश्‍य ही एकाध शिवालय हुआ करता है। जहां समस्‍त हिंदू शिव जी की पूजा बेलपत्र , धतूरा , भांग फूलों और ुलों से करते हैं। शिवभक्‍त रूद्राक्ष की माला धारण करते हैं। प्रतयेक धर्मात्‍मा नर नारी शिवरात्रि का व्रत रखता है। मंदिरों में बम भोला शंकर की ध्‍वनि के साथ घंटों की ध्‍वनि आपको सर्वत्र सुनाई देगी।

ऐसा नहीं है कि जो वैष्‍णव हों , वो शिव जी की पूजा नहीं करें। किंतु वैष्‍णवों और शाक्‍तों में कुछ भेदभाव होता है। वैष्‍णव कभी भी मांस का स्‍पर्श नहीं करेगा , पर शैवों में कुछ को मांस खाने से आपत्ति नहीं। कुछ तो भंग और मदिरा तक का पान करने में नहीं हिचकते , पर वैष्‍णव में मदिरा पान वर्जित है। शैव त्रिपुण्‍ड लगाते हैं , मस्‍तक में सीधी रेखाएं भष्‍म या चंदन की , पर वैष्‍णव यदि रामानंदी हुए तो सीधी तीन रेखाएं और यदि कृष्‍ण भक्‍त वैष्‍एाव हुए तो दो रेखाएं खडी मस्‍तक पर लगाते हैं। शैव रूछ्राक्ष की और वैष्‍णव तुलसी की माला का प्रयोग करते हैं। शैवों में रहस्‍यात्‍मकता तथा एकांत और मरघट आदि को अधिक मान्‍यता दी जाती है , जबकि वैष्‍णवों को उत्‍सव और आनंद में भाग लेने का आदेश है।

ब्रह्मा , विष्‍णु और महेश के अतिरिक्‍त अन्‍य देवी देवताओं का पूजन भी हमारे यहां होता है , जिनके बारे में अगले आलेख में जानकारी दी जाएगी।



रविवार, 8 अगस्त 2010

खत्रियों के अल्‍ल ( य से लौ) ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.)

यंगचावने , यंतरयार , यकड , यती , यरकने , यरनियगा , यरोरन , यलर , यलतानी , यलाबंड , यहदीरेत , यहाना , यहाने , यांदा , यांदी , याठ , यारद , याहमे , येजे , येदाह , योनहे , योरगी , योल , योहंयाल , रंगडा , रंगपुर , रंगभूजे , रंगरेज , रंगरेच , रऊरेजे , रघुपति , रघुराया , रघुराई , रघुवंशी , रचपातोजी , रचला , रचासेशियान , रछपाल , रजगल , रजल्‍ली , रजबोहडे , रडी , रजेडे , रढिहवा , रलकनिये , रतकीजिये , रतन , रतनपाल , रतल , रतवानी , रनचेना , रनदेव , रपकजी , रवारा , रबिया , रमली , रलन , रलवाइये , रवस्‍या , रवासिया , फेसिया , रसपुत्रा , रसभुअरा , रसभुदरा , रसवाल , रसान , रसीवट , रहानिया , रहिमान , रहेजे , राइसमानवी , राऊत , रावत , राखडा , राजपाल , राजपूतने , राजपूतान , राजने , राजमहल , राजवते , राजवाना , राजवाल , राजवे , राजशाही , राजानी , राजाबाढा , राजिया , राजोली , रातकालजिया , राबडे , राना , रावेडी , रामगादी , रामदेव , रामिया , रायजादे , रायबागी , रारवीर , रारा , रावल , राहीजे , रिका , रूआने , रूखे , रूठेजे , रूपकठोर , रूसीदलानरे , रेगरा , रेयाई , रेलन , रेली , रेवडी , रेहाल , रैंहा , रोकवाये , रौकरिया , रोखती , रोचक , रोजा , रोडी , रोडीराम , रोडेगे , रोढा , रोना, रोनिये , रोपडे , रोयडे , रोरा , रोहनिया , रौछ्री , लंकापुर , लंगठ , लंबा , लुम्‍बा , लांबा , लई , लकडे , लकमी , लक्‍खी , लक्षणे , लखकेहर , लखडी , लखणहार , लखतुरा , लखतुर्रा , लखदंता , लखनपाले , लखनी , लखानी , लखेजे , लखरिया , लगानी , लजानिये , लटकन , लठला , लथीला , लदवा , लानिये , लब्‍बी , लभरिया , लमलली , लम्‍हक , ललते , लल्‍ले , लवाणी , लवेक , लर्वया , लहवर , लहेजे , लांडगू , लाखडे , लातपोतु , लातीपाल , लादवा , लालपागा , लालपग्‍गा , लालमुना , लालमुन्ना , लिक्खिए , लिडानी , लीया , लुझड , लग्‍घे , लुधेरे , लुलजे , लुलवाज , लुला , लुलाय , लूथरा , लेखडे , लेमरीया , लेवा , लेहा , लोइट , लोकपाल , लोगन , लागिया , लोछानी , लोटी , लोटफा , लोती , लोपाल , लोबा , लोमटे , लोमड , लोमवड , लोहइहुक , लोहाना , लोहारी , लोहिया , लौगिया !!







शनिवार, 7 अगस्त 2010

खत्रियों के अल्‍ल ( भं से मौ) ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.

भंडरा , भंडारी , भंतडादी , भंवइए , भड्डा , भकानी , भकोरी , भगडे , भगत , भगनेजे , भगधारी , भगरेजे , भगाजयी , भगादी , भगेडा , भचानी , भछडा , भजिये,  भटनाई , भटनेरी ,भटयानी , भटरिया , भटरेजे , भटेजा , भट्टा , भठेजे , भडकने , भडारिये , भड्डी , भदवा , भद्दे , भद्दा , भधले , भधार , भनेजे , भभवानिये , भभरानी , भभराने , भभरेजे , भभेरी ,भभ्‍यहांकि , भरखने , भरवाल , भरत , भरद्वाजी , भारद्वाज , भरनी , भरभेदी , भरवाही , भरसनिये , भराडे , भर्सन ,भलानी , भलूता , भल्‍ला , भवाइये , भनेसीजा , भसीन , भहेल , भांडगे , भाखेल , भागजे , भागहर , भाजरतबी , भाजिये ,भाटिया , भाठरिये , भाठे , भातरखाने , भानजीरे , भानिये , भामदिल , भारत , भारती , भारवाही , भारे , भालेन , भावडोया , भावदस्‍या , भावने , भाबरवा , भाहत्‍यासत्‍या , भाहांकि , भिरातिये , भीमर , भील , भुच्‍चड , भुछडो , भुडादी , भूत , भूते , भुरे , भूछडा , भूटानी , भूमकर , भूरिया , भूसरी , भोछन , भेडा , भेदानी , भेरी ,भेवा ,भोगधारी , भोगरा , भोगर , भौछडा , भोजगिरी , भोजपन्‍ने , भोजपत्री , भोजरटनी , भोजराय , भोडे , भोतने , भोरपालने , भोरानिये , भोलाने , भोलासिके , भौंकमार , भौछा , भौरंगे , मंकोडी , मंगमधरे , मंगल , मंगलवार , मंगलानी , मंगवाने , मंगोटिये , मंगोलिया , मंजीठी , मंदुरा , मदूरा , मकडिया , मकबाने , मकर , मकरिया , मकाती , मकानी ,मकोडिया , मकोडे , मकोरे , मक्‍खी , मकला , मखना , मखले , मखशाला , मखचूस , मखुआ , मगजि , मगजीकोडा , मगडिया , मकरिया , मगरा , मगरूरा , मगसेर , मगहरा , मगही , मगूरा , मगे , मगोभी , मगोई , मर्थक  , मग्‍गा , मग्‍गो , मघखान , मघवन , मधुआ , मच्‍छड , मछर , मजता , मजने , मजराल , मजाई , मजीरा , मटविया , मटीजा , मढे , मणियार , मतवक , मदरा , मदान , मधवा , मधवी , मधंक , मधुकने , मनकी , मनकुंडी , मनके , मनचंदे , मनजाल , मनमोर , मनहता , मनहारा , मनाहा ,मनुआ , मनोक , मनोहरा , ममा ,,मसूरा , मरकट , मरवी , मरकनी , मरकर , मरक्‍तैनी , मरग , मरगाई , मरथक , मरदंती , मरदत्‍ती , मरदी , मर्दी , मरमुआ , मरवाहे  , मर्वी , मगोई , मर्थक , मलक , मलख , मलखन , मलखमंजीरा , मलगढ , मलगी , मलजि , मलार , मलित , मलिता , मल्‍ले , मलहोत्रा , मलोत्‍तरे , मेहरे , मसाकी , महंगी , महंत , महंता , महतता , महथा , महरा , महरावीय , महाकुच , महाजन , महान ,महाय , महालदार , महीव , मसाला , महेन्‍द्र , महेरे , मांटे , मांडजे , मांधु , मागडे , माटिर , मातपोतरे , माधी , माधुर , मानकटाहर , मानकटोह , मामतुर , मामतोरा , मामलातुरा , मयनये , मारी , मामलडि , मालगुर , मालदार , मालन , मालवंती , मालवी , मालापुरे , मालिया , माहमी , माही , मित्रा , मिनकती , मिनकेति , मिनरिया , मिरजकर , मिरैया , मिसकीन , मिमियाल , मुंह , मुंहचगा , मुहवंगा , मुकताली , मकेर , मुखाइये , मुगलानी , मुच्‍छ , मुडिया , मुथरा , मुदिया , मुनहि , मुनारा , मुरगई , मुरगाई , मुरझाने , मुर्झाना , मुरल , मुरादाबादी , मुगलन  , मुलबीजे , मुलहान , मुलिये , मूंगे , मूचर , मूता , मूलरिया , मेगजी , मेकमदन , मेघराज , मेत्राणी , मेदिया , मेधिया , मेधिआ , मेर , मेलिये , मेहंदी , मेहता , मेहरवाडे , मेहवीरता ,मेहन , मेहरवाडे , मेहरा , मेहरोत्रा , मिहरोत्र , मिहरोत्रा , मैनराव , मैनरिया , मैलवार , मोगा , मोइये , मोखाना , मोगर , मोदर , मोडरी , मोदन , मोदा ,मोदिया , मोदी , मोदे , मोनी , मोरनिया , मोरपंखी , मोरे , मोलरे , मोलीवाड , मोहण , मोहरा , मोहरे , मोजवर , मौनवार , मौनसिल , मौना , म्‍हेर , म्‍हाणेवाढा ।






शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

खत्रियों के अल्‍ल ( पं से बौ) ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.)

पंखौ , पंगे , पंचपकालि , पंचवेदी , पंचाल , पंचु , पंचे , पंच्‍छे , पंजमने , पंजरंडे , पंजाजडी , पंजाबे , पंजाभूत , पंडेरे , पखुरा , पचंडे , पजैला , पटपटिया , पतोला , पट्टीखर , पट्टण , पडतने , पडाल , पडीआ , पडेर , पतमी , पत्‍ता , पतोला , पथरा , पदवासी , पधीजे , पधौला , पधैला , पनवार , पनवारो , पनवानी , पनहारी , पनेरह , पन्‍नी , पयोलल्‍ला , परचंडा , परमली , परासी , परेम , परेयानी , परोथी , पलटा , पलथन , पलपजलते , पलाई , पलाही , पलाहा , पवार , पवेजे , पशीमन , पसरा , पसरेचे , पहलते , पहवा , पहोजा , पहोलर , पहोचे पांचरा , पांजडा , पांजिया , पांडू , पांदा , पांदी , पाकर , पाखर , पागढे , पाटन , पाटील , पाडा , पातलिया , पातार , पाधा , पानागी , पापा , पायलाजी , पायोलल्‍ला , पारा , पाराशर , पाल , पालसिया , पालेकर , पालोज , पालोय , पासी , पासंग्‍या , पिढारी , पिनझारी , पिनाकी , पिशावरे , पडिकेर , पुंछी , पुंछरी , पुडेकर , पुथरेजे , पुनतीजे , पुम्‍हनी , पुराग , पुरी , पुरोमनी , पुल्‍याणी , पुशकरी , पुहली , पूजारी , पूल , पृथु , पेंक्‍ट , पेंटू , पेडी , पेतरमेढर , पेनचढूरिया , पेलान , पैबू , पैगे , पोंजी , पोखल , पोछक्‍या , पोजरी , पोथंगा , पोथा , पोपल , पोपलाया , पोपा , पोलपुअर , पोलावल , पोलियार , पोहली , पोहा , पौछक्‍का , पौ‍हारी , प्रमाणी , प्रोरधा , फक्‍कर , फक्‍कड , फखयार , फटखार , फपणीया , फलकिया , फलचढा , फलदा , फलवहे , फल्‍ले , फांकिपा , फाडके , फुतीले , फुनकमर , फरकना , फुरकने , फलदा , फूलपकार , फूलवालिये , फुला ,फुलिया , फुलीभल , फूलोवालिये , ुवलीवाल , फूकमार ,फूल , फूलपंखी , फूलमाल , फूलर ,फूला , फूले , फेसिमा , फोलती , फोहिया , फौजी ,फौलारी , बंकापुर , बंकामुख , बंगुठला , बगता , बगरिया , बगाई बग्‍गा , बघावन , बघेले , बजबजा , बजाज , बजाह , बटल , बठले , बठेजा , बडंडा , बडतने , बडवा ,बडी ,बदी , बडहोत्रा , बडेडो , बतवनी , बतरा , बतरे , बत्‍ते , बत्‍था , बदवा , बदहरे , बदानी , बेदराजे , बद्दी , बधावन , बनासिया , बनिहाना , बनेलिसे , बपैत , बबर , बबलनीधू , बम्‍हौ , बरतोरा , बराठ , बरेया , बरोपद , बर्द्धवान , बलंदी , बलगुर , बलाते , बलनिधु बलवंता , बलवेजे , बलसुहाई , बलहोत्रा , बलियार , बलिये , बलूचे , बसंती , बसव , बसुदे , बसेजे , बस्‍सी , बहकी , बहदरिया , बहवी , बहियार , बहालिये , बहुरंगे , बहुरे , बहेन ब्रह्मचर , बांका , बांगपाइये , बांगे , बांदा , बांदे ,बाबी , बाकले , बांकले , बाखरे , बाखिंदे , बारतुरे , बागीचा , बाजरी , बाजूनेगे, बाडा , बाणिये , बाद , बानथरी , बावेजी , बावले , बार , बारड , बारडे , बारभि , बारभिया , बारहोत्री , बारे बालखीरन , बालगीर , बालबीरन ,बाल्मिकी , बाल्मिकि , बालाजी , बासल , बासिया , बारड , बाहगुरू , बाहरी , बाही , बिक्‍कवा , बिछुवे , बिज , बिदराल , बिछ्री , बिनहरा , बिवोडी , बिरंच , बीरमाल,  बिलाया , बिल्‍ले , बिसार , बिपभा , बिहारी , बीछी , बुंटी , बुखारे , बुखीज , बंधरेजे , बुधवार , बुद्धवार , बुद्धवाल , बंधवला , बुरबुरे , बूचकी , बूछड , बेगल , बेघर , बेदराल , बेदा , बेबिनकट्टी , बेराय , बेराया , बेरी , बेसी , बेहर , बैदरा , बैनी , बोचगेरि , बोटी , बोटे , बोबडे , बोमडे , बोसिया , बोरी , बोरोच्‍चा , बोलबिहा , बोसमिया , बोहरा ,बोहरे , ब्रजमनि , ब्रजसर , ब्रीमि।।








गुरुवार, 5 अगस्त 2010

खत्रियों के अल्‍ल ( दं से नौ ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.)

दंगली , दंदोसी , दउयाणी , दगचंद , दगड , दगभरीला , दगीचा , दगिया , दतडा , दत्‍थल , दधिया , दनडा , दमतकरे , दमाम , दमौडा , दबकने , दबरैल , दबरल , दयानी , दरगन , दरज , दरधिया , दरया , दलबंजन , दलही , दलानिया , दलिये , दल्‍लालिया , दशवाल , दसू , दस्‍सू , दहके , दहगलानी , दहतारिये , दहरानी , दहल , दहिका , दहोचा , दहीजे , दहोरा , दांदरा , दंधिडा , दाणेज , दादरे ,दादसुना , दादीपोता , दानि , दामडी , दामन , दामुसा , दास्‍वहर , दारीला , दावडीहा , दावडे , दासा , दाहडे , दाहवले , दिक्‍कन , दिवरा , दीवरा , दीक्षण , दीदाबंद , दीदिया , दुबोहल , दुआ , दुखरे , दुगल , दुगगल , दुमोरा , दुमोहरा , दुरेच , दुर्गन , दुलिया , दुवण , दुहावन , दूतिया , दूधावने , देंचे , देयाणी , देगरा , देगी , देमला , देरया , देवडे , देवपाल , देवल , देसर , दोखरे , दोदीय , दोबरेजे , दोलडे , दोहरा , दोलतमनी , द्रोदीया , द्रोर , धंकसरी , धंतापुरी , धंधरा , धंधारी , धखड , धखानी , धडंगे , धडा , धणदै , धतवा , धन , धनकिया , धनदेई , धनदेन्‍या , धनरिये , धनाक्षरी , धनिया , धनुके , धनुर्धर , धनोरधच ,धफंजखत , धमीजे , धरकबंदिये , धरकमार , धररे , धरादे , धरेज , धरेटिा , धरीड , धर्मदास , धर्मीरे , धर्रे , धवन , धवरिया , धवीरन , धांगड , धांधा , धारी , धींगडे , धींतीये , धिवाया , धींणीया , धीपे ,धीमा , धीरवीर , धीवन , धुतारा , धुनी , धुमन , धुलेरा , धुवाना , धुमन , धुरिया , धेगडे , धेला , धोकडे , धोखाया , धोंगडी , धोंडाले , धोना , धोयन , धौन , धौखिल , नंदचाहत , नंदवाने , नंदवार , नंदा , नंदे , नकबेसर , नकतुर , नखतुरा , नखराना , नगरि , नगरानी , नगरि , नगरानी , नगराया , नगरेजे , नगिया , नगिए , नगौरा , नचयां ,नचाती , नजडा , नटोरा , नदरा , नमण , नेमण , नरदे , नरूकमरू , नरेश , नलौरा , नवलखा , नशकीडे , नहछिद्दा , नहनगनी , नहरानी , नहियन , नहियप , नहिसाबाढ , नाहेसरबाढ , नाकूपत , नाकोड , नाग , नागन , नागपाल , नागर , नागिन , नागिये , नागे नागौन , नाजर , नादरा , नान , नानगुरू , नानसी , नारंगे , नारंग , नारोले , नाल , नालवा , नालौरा , नासा , निचाणी , निडरे , निरंजन , निरत्नियां , निर्मण , निर्मणभूत , निशीन , निशां त , निहावन , नीमक , नुनहारी , नुनहारा , नूरजे , नृसिंह , नेकूख , नेगु , नेपर , नेमी , नैगल , नैनाथी , नैमहले , नौमहले , नैमिख , नैमिब , नैगर , नैर , नौगरे , नौगराही , नौनछोर , नोनछोर , न्‍याहिये , न्‍योले !!












खत्रियों के अल्‍ल ( तं से थौ) ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.)

तंगिये , तकमार , तकोजे , तगडे , तगतोड , तम्मिनमनि , तटघर , तटवर , तट्रासी , ततरेजे , तत्‍ते , तनतिया , तनी , तनेचे , तनेजा , तनोज , तपडगुडा , तपनगर , तपे , तबनोल , तब्रे , तमखुरा , तमाकूवाला , तरंदा , तरदा , तरनेजा , तरपके , तरवानी , तरोने , तर्क , तलकी , तलरे , तलवाज , तलवजे , तलवार , तरवार , तरवाड , तलवारमार , तबकिया , तबरेच , तवैया , तहमेले , तहवाला , तांगडी , तांगा , तांतिया , तांबडे , तालंगे , ताखी , तातने , ताता , तानी , तानीओढा , ताने , तानेतली , ताबउे , तालवाड , तालावाड , तालारार , ताहरी , तिन्‍ने , तिपुरा , तिब्‍ब , तिरंदाज , तिरनाल , तिरहून , तिहैन , तिरूमल , तिलकिया , तिलवाड , तिलवाल , तिल्‍लीछार , तुंबार , तूतिआ , तुनतुनिया , तुरही , तुरी , तुर्हाई , तुलबीर , तुलसिंद , तुलसीनंदा , तुलीया , तूल , तूलर , तेंगर , तेजानी , तेतर , तेन्‍यओ , तेम , तेहर , तैहर , तोतलानी , तोते , तोबरेज , तोरनार , तोलबांछरी , तौलिया  त्रिमल, त्रिहन , थंबा , थंमन , थंरहल , थकवेल , थथेडे , थनथाल , थन्‍ने , थरहाल , थरीना , थरेजे , थलकिया , थंलहिल , थलेर ,थागुर , थाथरी , थापन , थारकर्छी , थालकर्छी , थालर , थिग्‍गन  , थिमन , थुकवंते , थूहर , थेगरा , थैलवाल , थोकिया , थोटी।







बुधवार, 4 अगस्त 2010

खत्रियों के अल्‍ल ( टं से ढौ) ...खत्री हरिमोहन दास टंडन जी.)

टंकघर , टंगरवाढा , टंडन , टई टकन , टकर , टकसाली , टकहर , टकियार , टगिरा , टटियानी , टटवाना , टटरा , टठानी ,टडवाले , टनकधार , टनोजिये , टनोड , टमकन , टरहा , टल , टबकेर , टहरी ,टांक , टांगरा ,टांडरे , टाक , टाटागड , टाटारिया , टांरिये , टाला , टिकंदर , टिकले , टिकिये , टिहरीबाक , टीटोटंडन , टुंगरवाही , टुकनिया , टुकरिया , टुनखिया , टुनटुनिया , टुपया , टेटिया , टेक , टेजे , टेढीबांक , टोंगा , टोकल , टोकले , टोनिया , टोरनार , ठैथखेये , ठंडी , ठकनोजिये , ठकर , ठकराल , ठकुरेजा ,ठटिये , ठठिये , ठठचारे , ठठागर , ठठामरे , ठठनपाल , ठांड , ठाट , ठाठेरा , ठिकथूरा , ठिकपुरा , ठिक्‍कन , ठिलइनटे , ठिल्‍लमठिल्‍ला , ठिवकन , ठिकेदार , ठुकराल , ठुकहर , ठेंठपाल , ठेंकरे , ठोकिया , ठोसमल , ठोसमाल , डंकबन ,डंकामार , डंग , डंगगई , डंडबाज , डंडे , डडोसी , डकन , डकना , डखना , डगगई , डगबन , डगबरेजे , डगमरीले , डगागेदश , डटाइये , डडवहे , डडी , डमरिया , डमामघर , ड्योरी , डरवाने , डरेजे , डलिया , डहेगरे , डांगा , डांडी , डाक , डाख , डागरी , डाडांगण , डाडेरा , डाबूमल , डामरा ,डामराबाढ , डालफूल , डालफूले , डाली ,डाबरे , डारे , डिगसना , डिसोजा , डसोसा , डुलेरा ,डेगी , डेयानी , डेसर , डैरी , डोंडरा , डौंडर , डोंर , डोग , डोगर , डोडिया , डोंटे , डोंडे , डोडेजे , डोनंबरे , डोमजे , डोमने , ढंकण ,ढंगमकूला , ढंगर , ढंगरी , ढंढोरिया ,ढंकना , ढकी ,ढगढेर , ढगले , ढबकर , ढरक , ढल , ढलबाज , ढाइये , ढाकुरायल , ढाढबानिये , ढारी , ढालकरी , ढालबाज , ढिढोरिया , ढिलहान , ढिकदार , ढुढखाल , ढुलका , ढेहारिया , ढोंडिला , डोंडले , डोकले , ढोलकिया , ढोलकीफुट , ढालपे , ढोलपा !!







क्‍या ईश्‍वर ने शूद्रो को सेवा करने के लिए ही जन्‍म दिया था ??

शूद्र कौन थे प्रारम्भ में वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर थी, पर धीरे-धीरे यह व्यवस्था जन्म आधारित होने लगी । पहले वर्ण के लोग विद्या , द...