सोमवार, 18 जनवरी 2010

वास्‍तव में हमारी अमूल्‍य निधि क्‍या है ??

संसार में सबसे बडी निधि क्‍या है , इसपर अनेक विद्वानों ने मनन किया , विवेचना की वाद विवाद किया , पर वे अभी तक किसी निष्‍कर्ष पर नहीं पहुंच सकें। इसी बात की समझ के लिए मै सबसे पहले अपने मित्र मूल्‍यवान के पास पहुंचा, उसने बताया कि संसार में सबसे मूल्‍यवाण निधि मकान है , एक मकान बना लीजिए , दस किराएदार रख लीजिए , 'हर्रे लगे न फिटकिरी , रंग चोखा आए' आजीवन आपको किसी चीज की कमी नहीं होगी , बस गुलछर्रें उडाएं।


वहां से चलकर मैं अपने दूसरे मित्र मक्‍खन लाल के पास पहुंचा। मेरे प्रश्‍न को सुनकर वे हंसकर बोलं ..'सबसे बडी निधि चापलूसी है। जिसके पास ये हैं , वह बडे बडे मंत्रियों के साथ चलता है , उसकी सारी जरूरतें पूरी करता है , मुझे देखों , चार चार मकान , कितनी कारें और विलायती सामान , इसके अलावे जो चाहे ले लो .. पद्म भूषण , पद्म श्री' मेरी बोलती बंद थी , मैं उठा और चुपचाप चल दिया।


अब बारी थी मेरे मित्र गरीबदास की, सो वह भी पूरी की। मेरी समस्‍या सुनकर उसने कहा 'सबसे बडी निधि गरीबी है , लल्‍लू जब से मैं पैदा हुआ हूं , रोजाना गरीबी का ही गुणगाण सुन रहा हूं , 365 दिन गरीबों का ऊपर उठाने की केाशिश हो रही है , पर वह हनुमान जी से भी भारी है। सरकारे आती हैं , चली जाती हैं , पर गरीब पहलवान ताल ठोकर जहां का तहां खडा है , देखो एक एक की जुबान पर गरीबी ही गरीबी। निराश होकर मैं चल पडा। 


अब केवल गांव के बडे बाबा भक्तिदेव ही बचे थे। मैं उनके पास पहुंचा औ उनके पैर छूकर बैठ गया। मैने बाबा को को अपनी समस्‍या बता दी। वे मुस्‍कराए और बोले 'बचुआ , हम तो ठहरे पुरनिया और तुम नए जमाने की नई फसल । तो अब हमार तुम्‍हार कैसे बात मी। मैं बोला 'बाबा हमहूं कुछ कुछ पुरनिया है,आप बोली तो। वे प्रसन्‍नचित्‍त बोले 'देखो बचुआ, हम तो अब भए 90 साल के , हमारे पास दुनिया की सबसे बडी और अमूल्‍य निधि है। इसे हम बडे सहेज के रखे हैं। इससे हमारे सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं।हम सदा प्रसन्‍न रहते हैं।इससे हमें बल , बुद्धि , धैर्य और संतोष्‍ज्ञ मिलता है।


बचुआ यह है मेरे माता पिता का आशीर्वाद , जिसकी गठरी आपके पास है। जब मैं कष्‍ट में होता है तो थोडा सा इसमें से निकाल लेता हूं और तभी मेरे सारे कष्‍ट आनन फानन में दूर हो जाते हैं। मैं संतुष्‍ट हो गया , सच है , माता पिता के आशीर्वाद कह अमूल्‍य निधि जिसके पास है , वह सदा सुखी है।

खत्री .. कैलाश नाथ जलोटा










3 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

माता पिता के आशीर्वाद की अमूल्‍य निधि जिसके पास है , वह सदा सुखी है।

एकदम सीधी ,सच्ची और खरी बात

दीपक 'मशाल' ने कहा…

ekdam durust farmaya aapne... mata-pita hi sarvottam nidhi hain... Shree Ganesh ne bhi mana hai.
Jai Hind...

रंजना ने कहा…

sahi kaha....maat pita ke aashirwaad amooly aur kya ho sakta hai...

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