शनिवार, 16 जनवरी 2010

इतिहास की पुस्‍तकों में 'खत्रियों' के बारे में चर्चा

khatri vansh

इतिहास की पुस्‍तकों में यत्र तत्र खत्रियों ( khatri vansh ) के बारे में जो चर्चा की गयी है .. उसका संग्रह यहां है ...


1 . फ्रांसिस ग्‍लैडविन द्वारा किए गए 'आइने अकबरी' के अनुवाद ( सन् 1800 के संस्‍करण के खण्‍ड 2 , पृष्‍ठ 198) में लेखक ने कहा है ' किन्‍तु आजकल विशुद्ध क्षत्रियों का पाया जाना उस थोडे से अपवादों को छोडकर , जो शस्‍त्र विद्या के व्‍यवसाय कापालन नहीं करते , बहुत कठिन है।

2 . फरिश्‍ता ने अपनी पुस्‍तक में द्वापर युग के उत्‍तरार्द्ध में भारत के हस्तिनापुर नगर में राज्‍य करनेवाले एक खत्री राजा का उल्‍लेख किया है , जो न्‍याय पीठ पर बैठकर अपनी प्रजा का पालन करता था। ( देखिए नवंबर 1884 में नवल किशोर प्रेस, लखनऊ में मुद्रित 'फरिश्‍ता' के फारसी संस्‍करण का पृष्‍ठ 6)

3 . इसी पुस्‍तक के नए पृष्‍ठ पर फरिश्‍ता ने विक्रमाजीत खत्री अथवा विक्रमादित्‍य का उल्‍लेख किया है। संबद्ध अनुच्‍छेद का इस प्रकार अनुवाद किया जा सकता है ' राजा विक्रमाजीत खत्री , जो इस पुस्‍तक की रचना के 1600 वर्ष से कुछ अधिक पूर्व राज्‍य करता था , की मृत्‍यु के पश्‍चात् उन्‍होने ( राजपूतों ने ) शासन सूत्र अपने हाथ में ले लिया।

4 . सर डब्‍लू डब्‍लू हंटर ने अपने 'स्‍टेटिस्टिकल अकाउंट ऑफ बंगाल' के खंड 4 , पृष्‍ठ 17 में खत्री जाति के विषय में निम्‍नलिखित तथ्‍य प्रस्‍तुत किए हैं ...
वतैमान काल के खत्री अपनी वंश परंपरा के प्रमाणस्‍वरूप कहते हैं कि उनके पूर्वजों ने परशुराम के सामने आत्‍म समर्पण कर दिया था और वे उनके द्वारा छोड दिए गए थे '

5 . 'ग्‍लासरी ऑफ जुडिसियल एंड रेवेन्‍यू टर्मस ऑफ द डिफरेंट लैग्‍वुएज ऑफ इंडिया' नामक पुस्‍तक में , जिसका संपादन और प्रकाशन ईस्‍ट इंडिया कंपनी के निर्देशकों की कोर्ट के अधिकार के अंतर्गत हुआ , में प्रो एच एल विल्‍सन ने पृष्‍ठ 284 पर कहा है कि ' खत्री , जिसका बिगडा हुआ रूप खत्रिय या खतरी है , हिन्‍दी का शब्‍द है , जिसका अर्थहै दूसरी विशुद्ध जाति का व्‍यक्ति या सैनिक राजकुल जाति का।

6 . 'हिन्‍दी एंड इंगलिश डिक्‍शनरी' नामक अपनी पुस्‍तक में श्री जे टी थामसन ने कहा है कि ' खत्री का अर्थ हिन्‍दुओं की चार जातियों में से एक है , इसका अर्थ है वह व्‍यक्ति , जो योद्धा जाति का है।

7 . श्री जॉन डी प्‍लॉट्स ने अपने शब्‍द कोष में कहा है कि ' खत्री हिन्‍दुओं की दूसरी अर्थात् योद्धा या राजसी जाति का व्‍यक्ति है।

8 . खत्रियों के इस दावे के संबंध में कि वे पुराने क्षत्रियों के वंशज हैं , सर जार्ज कैम्‍पवेल ने इस प्रकार अपना मत प्रकट किया ' मुझे ऐसा सोंचने के लिए विवश होना पडता है कि वे वास्‍तव में उस सम्‍मान के प्रबल दावेदार हैं।

9 . श्री रैवरेण्‍ड शेरिंग ने भी अपनी पुस्‍तक 'हिन्‍दू ट्राइब्‍स एंड कास्‍ट्स' के पृष्‍ठ 278 पर लिखते हैं कि 'खत्री मूलत: पंजाब से आए , जहां खत्रिय और क्षत्रिय दोनो नाम के उच्‍चारण में कोई अंतर प्रतीत नहीं होता।

10 . श्री जे टाल ब्‍वायज ह्वीलर ने अपनी पुस्‍तक हिस्‍ट्री ऑफ इंडिया के पृष्‍ठ 173 पर टिप्‍पणी की है कि ' भारत की प्राकृत और देशज भाषाओं में क्षत्रियों को खत्री कहा जाता था।

11 . अपनी पुस्‍तक ' कास्‍ट सिस्‍टम आॅफ इंडिया' में खत्रियों की चर्चा करते हुए श्री जे सी नेस्‍फील्‍ड ने पृष्‍ठ 37 की पंक्ति 88 में कहा है कि 'भारत में व्‍यापार करनेवाली जातियों में सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण और सर्वोच्‍च खत्री जाति है। इस जाति के प्रादुर्भाव में जाति विश्‍लेषण संबंधी कोई समस्‍या नहीं होनी चाहिए ।

12 . श्री मैक्रंडल ने अपनी पुस्‍तक 'इंडियन एंटीक्‍वायरी' सन् 1884 के खण्‍ड 13 पृष्‍ठ 364 पर लिखा है .. 'यूनानी लेखकों के अनुसार वे लोग , जो रावी और व्‍यास के बीच के क्षेत्र में राज्‍य करते थे , खत्रीयाओं थे , इसकी राजधानी संगल थी।'

लेखक .. खत्री सीता राम टंडन जी





5 टिप्‍पणियां:

Sunita Sharma Khatri ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी खत्री जाति के बारे में है कृपा यह भी बताये की यह जाति वर्तमान में सर्वाधिक कहां है। क्या इस जाति के लोग अभी भी स्वभाववश लडाका होते है ।

संगीता पुरी ने कहा…

सुनीता शर्मा जी,

इस ब्‍लॉग के साइड बार में खत्रियों के स्‍वभाव के बारे में दिया गया है .. पंजाब और यू पी में इनकी संख्‍या अधिक है .. देश के विभिन्‍न भागों में हैं .. पूरी फिल्‍मी दुनिया इनसे भरी पडी है .. सब अभी अपने अपने व्‍यवसाय में संलग्‍न हैं .. उसी को सत्‍य समझ बैठे हैं .. मैं देश और समाज की स्थिति को सुधारने के लिए पूर्वजों की याद दिलाकर उनमें जागरूकता बढा रही हूं .. उनके होते समाज की ऐसी बुरी हालत क्‍यूं है .. वे इसे क्‍यूं बर्दाश्‍त कर रहे हैं .. उनका खून क्‍यूं नहीं खौलता ??

श्रद्धा जैन ने कहा…

bahut nayi jaankaari mere liye

aapki logon mein iski jaagrukta laane ki ye koshish kaamyaba ho dua hai

Crazy Codes ने कहा…

khatri samaj ke baare mein aur nayi jaankariyon ke liye dhanyavaad..

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जानकारी जी

क्‍या ईश्‍वर ने शूद्रो को सेवा करने के लिए ही जन्‍म दिया था ??

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