मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

उम्र दराज होने का मतलब अकेले होते जाना नहीं हैं !!



यदि आप उम्रदराज हो रहे हैं , तो इसका मतलब कतई नहीं कि आप बूढे या बेकार हो रहे हैं। यह बात सिर्फ आपके दिमाग की ऊपज है। हां , आपको कुछ बातों का ध्‍यान तो रखना ही पडेगा .... 

अपने व्‍यवहार में शालीनता और गंभीरता रखते हुए आत्‍मविश्‍वास बनाए रखें , अपनी दिनचर्या में आवश्‍यकतानुसार बदलाव लाएं। 
सामाजिक गतिविधियों में भाग लें । किसी सामाजिक संगठन के लिए काम करना शुय करें या अपने परिवारजनों , रिश्‍तेदारों , परिचितों , और पडोसियों की मुश्किल को आसान करने में उनकी मदद करें। 
आजकल एकल परिवरों का चलन ही जोरों पर है , इसलिए उम्र बढते ही असुरक्षा का अहसास होने लगता है , इसे काटने के लिए आप आसपस के लोगों से मेलजोल अवश्‍य बनाएं ! 
यह न सोंचे कि अब जीवन में क्‍या बचा है। अपने जीवन में जोश पैदा करें , अपने अनुभवों के द्वारा अपनी और आसपास के युवाओं की अभिरूचियों को व्‍यवसाय में तब्‍दील करें। 
हस्‍तकला का शौक हो तो इससे भी धनोपार्जन किया जा सकता है। 
संगीत और अध्‍ययन में रूचि विकसित करें , यह ताउम्र हमारा साथ देती है। 
अपने धन को सोंच समझकर खत्‍म करें , बुरे वक्‍त के लिए कुछ धन बचाकर रखें। 
मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखें और तनाव न पालें। 
उम्र बढने का यह मतलब कतई नहीं कि आप घर में बैठकर नई पीढी से कुढें और उनको कोसें , आप उनसे दोस्‍ती का हाथ बढाएं , अपनापन देकर देखें , वे अवश्‍य दोस्‍त बन जाएंगे। 
अपनी क्षमताओं को समझने के साथ साथ अपनी कमजोरियों को भी बेझिझक स्‍वीकारें और उसे दूर करने की कोशिश करें। 

(खत्री हितैषी से साभार)

4 टिप्‍पणियां:

अर्कजेश ने कहा…

उम्र दराज होते वरिष्‍ठों के लिए टाॅप टिप्‍स ।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत अच्छी सलाह!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण सुझाव , संगीता जी !

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बढ़िया सलाह है।धन्यवाद।

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